For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मजबूरी (लघुकथा )

"एइ जे ! हाजरा मोड़ जाएगा ? "

"हाँ साहेब, जाएँगे ।"

"किराया कितना ?"

"बीस टाका !"

"गला काटता है रे ...!! "

"नहीं साहेब , ऑटो तो पचास टाका लेगा ।"

"ओ ले शकता है, पेट्रोल से जो चलता है ना ।"

"ठीक है साहेब ...जो मर्जी दे दीजिएगा ।" पेट्रोल का कीमत सब को पता है, खून का कीमत? सोचता रिक्शा खींचने लगा ।

"बस बस ...! यहीं रोको ...!" दस रूपये रख कर चलता बना ।

जेब से दिन भर की कमाई निकाल कर हिसाब लगा रहा था बुधिया... रिक्शा का किराया देने के बाद भर पेट खा पाएगा ...या आज भी ....? रिक्शे वाले की आँखों में खून छलक रहा था सेठ के लिए ।

.

'सुनंदा ' (मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 619

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 28, 2015 at 2:32am

आपका स्वागत है, आदरणीया सुनन्दाजी.

मंच पर अभ्यासरत रहें. एक संवेदनशील प्रस्तुति के लिए शुभकामनाएँ.

Comment by sunanda jha on May 26, 2015 at 6:47am
आप सब का दिल से शुक्रिया कथा पसंद करने के लिए । श्री वीर मेहता जी और विनय जी मैंने रिक्शे की ही संवेदना दर्शानी चाही है ।
Comment by shree suneel on May 24, 2015 at 10:11pm
रिक्शा का किराया देने के बाद भर पेट खा पाएगा ...या आज भी ....?
एक मजदूर की व्यथा इस पंक्ति में हीं उभर गई.. . आदरणीया सुनंदा जी, अच्छी लघु-कथा कही. अक्सर ये दृश्य दिख जाते हैं.
बधाई आपको.
Comment by kanta roy on May 24, 2015 at 12:37pm
मर्म से भरी हुई एक सार्थक लघुकथा के लिए बधाई आदरणीया सुनंदा जी । रिक्शे की आँखों से भी खून उतर सकता है सेठ के प्रति ..... रिक्शेवाले के भूखे पेट से ताल्लुकात तो वो भी रखता ही है । उसके वजूद को कायम रखने वाला ही जब भूखा रहे तो जायज है रिक्शे के आँखों में भी खून उतरना । आभार
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 24, 2015 at 9:42am

मजदूरों की मज़बूरी उनकी आँखों में झलकती है | सुंदर लघु कथा के लिए बधाई 

Comment by विनय कुमार on May 23, 2015 at 9:36pm

पहली रचना पढ़ी मैंने आपकी , बहुत प्रभावित किया । पर मैं भी आदरणीय वीर मेहता जी से सहमत हूँ । बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिए..

Comment by विनोद खनगवाल on May 23, 2015 at 4:00pm
आदरणीया सुनंदा झा जी। अमीर द्वारा गरीब के आर्थिक शोषण को बहुत बढिया ढंग से प्रस्तुत किया है। बधाई स्वीकार करें विनोद खनगवाल की तरफ से।
Comment by Shyam Narain Verma on May 23, 2015 at 12:29pm
सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 23, 2015 at 12:09pm

आदरणीय सुनंदा जी सुन्दर रचना..."पेट्रोल का कीमत सब को पता है, खून का कीमत?"  बहुत खूब लिखा.,...सादर बधाई.!

कथा की अंतिम पंक्ति में  //रिक्शे की आँखों में खून छलक रहा था सेठ के लिए ।//     शायद  रिक्शे की जगह रिक्शे वाला होगा ....... या फिर आपने  "रिक्शा" को ही इसके लिए प्रयुक्त किया कुछ स्पस्ट नहीं...

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 23, 2015 at 12:07pm

अच्छी कथा i  सुन्दर प्रयास ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मार्गशीर्ष (दोहा अष्टक)

कहते गीता श्लोक में, स्वयं कृष्ण भगवान।मार्गशीर्ष हूँ मास मैं, सबसे उत्तम जान।1।ब्रह्मसरोवर तीर पर,…See More
6 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय दयारामजी"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
19 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
Monday
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service