For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल..........'जान' गोरखपुरी

२ १ २ २

 

इश्क क्या है?

इक दुआ है

 

दिल इबादत

कर रहा है

 

अपना अपना

कायदा है

 

पत्थरों में

भी खुदा है

 

कौन किसका

हो सका है

 

नाम की ही

सब वफा है

 

बस मुहब्बत

आसरा है

 

बिन पिये दिल

झूमता है

 

आँख उसकी

मैकदा है

 

फूल कोई

खिल रहा है

 

कातिलाना

हर अदा है

 

क्या हुआ गर

बेवफा है

 

जहर भी तो

इक़ दवा है

 

अब मुकम्मल

फैसला  है

 

तुम हो और ना

दूसरा है

 

बस गज़ल अब

हमनवा है

 

मै रदिफ वो

काफिया है

 

************************************

मौलिक व् अप्रकाशित (c) ‘जान’ गोरखपुरी

***********************************

Views: 1001

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on May 3, 2015 at 6:58am
यह ग़ज़ल तो वाकई कमाल है , बधाई, प्रिय कृष्ण मिश्रा जी, सादर।
Comment by seema agrawal on May 3, 2015 at 12:54am

वाह  क्या  कहना  इतनी छोटी  बहर में  ग़ज़ल  कहना  कमाल  ही है 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 2, 2015 at 9:45pm

आदरणीय कृष्णा भाई , बहुत बढ़िया एक रुक्नी गज़ल  कही है , हार्दिक बधाई स्वीकार करें ॥ दिये आवश्यक सलाहों पर अमल कीजियेगा ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 2, 2015 at 9:44pm

वाह वाह आदरणीय कृष्ण भाई जी शानदार ग़ज़ल हुई है. दाद ही दाद 

Comment by Mala Jha on May 2, 2015 at 8:38pm
बहुत खूब!!
Comment by MAHIMA SHREE on May 2, 2015 at 4:48pm

वाह..उम्दा  ..बधाई आपको..

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 2, 2015 at 4:23pm

बहुत अच्छे ..विद्वतजनो की राय बहुत काम की है 

Comment by वीनस केसरी on May 2, 2015 at 4:04pm

एक रुक्नी ग़ज़ल का अच्छा प्रयोग किया है ...


जहर की मात्रा २१ होती है


तू ही तू है न ..... इस मिसरे में आपने अतिरिक्त लघु लिया है मगर पढने में बहुत अटकाव है ,,,,


समर साहब की इस्लास पर भी गौर करें

हाँ समर साहब से एक निवेदन है कि ये रुक्ने रमल है ... खफीफ़ नहीं ...

Comment by Samar kabeer on May 2, 2015 at 2:25pm
जनाब "जान" गोरखपुरी जी,आदाब,बह्रे ख़फ़ीफ़ में बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं |

ग़ज़ल का आख़री शैर :-

"मै रदिफ वो
काफिया है"

इस पर विचार कर लीजियेगा

(1) रदिफ़ :- सही शब्द रदीफ़
(2) रदीफ़ स्त्रीलिंग है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service