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ग़ज़ल-नूर ज़ुल्फों को जंजीर लिखेगा,

22/22/22/22 (सभी संभावित कॉम्बिनेशन्स)
ज़ुल्फों को जंजीर लिखेगा, 
तो कैसे तकदीर लिखेगा.
.

जंग पे जाता हुआ सिपाही,
हुस्न नहीं शमशीर लिखेगा.
.

राज सभा में मर्द थे कितने,  
पांचाली का चीर लिखेगा. 
.

ईमां आज बिका है उसका,
अब वो छाछ को खीर लिखेगा.
.

कोई राँझा अपनें खूँ से, 
जब भी लिखेगा, हीर लिखेगा.

.

शेर कहे हैं जिसने कुल दो,
वो भी खुद को मीर लिखेगा.
.

नहीं जलेगा वो ख़त तुझसे, 
जो आँखों का नीर लिखेगा. 
.

‘नूर’ की बातें नूर ही समझे,
कब्र को भी जागीर लिखेगा.  
.
नूर 
मौलिक / अप्रकाशित 

Views: 914

Comment

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Comment by Samar kabeer on April 29, 2015 at 6:17pm
जनाब निलेश "नूर" जी,आदाब,बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं |
Comment by मनोज अहसास on April 29, 2015 at 3:47pm
नमस्कार सर सभी सभावित कॉम्बिनेशन का क्या अभिप्राय है अभी सीख रहे है थोडा समझा दे बड़ी कृपा होगी
Comment by Shyam Narain Verma on April 29, 2015 at 3:19pm
 इस सुंदर ग़ज़लक़े लिए हार्दिक बधाई
Comment by shree suneel on April 29, 2015 at 2:15pm
ईमां आज बिका है उसका,
अब वो छाछ को खीर लिखेगा.
.
कोई राँझा अपनें खूँ से,
जब भी लिखेगा, हीर लिखेगा.
बहुत ख़ूब आदरणीय निलेश जी, बहुत- बहुत बधाई.

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