For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नूर -अतुकांत/ छंदमुक्त रचना

चाँद,

फ़क़त तुम्हारा नहीं,

मेरा भी है.

इसलिए नहीं की मै,

उसे निहारता हूँ

किसी रेतीले किनारे से

या इंतज़ार करता हूँ,

ईद के चाँद का.

मै व्रत भी नहीं रखता,

किसी तीज या चौथ का.

फिर भी चाँद मेरा भी है.

इसलिए, कि  मै जहाँ जाता हूँ,

ये मेरे पीछे पीछे चला आता है.

मेरे हमसाये की तरह.

और मेरा हाल-ए–दिल

बयां कर देता है उसके सामने

जो मुझसे मीलों दूर है.

.
.

चलो...

एक समझौता कर लें,

इस बात का फैसला कर लें,

कि चाँद कितना तुम्हारा है,

और कितना मेरा.

यूँ कर लेते है कि बस,

बाँट लेते है हम तुम

अपने अपने हिस्से का चाँद.

जिस ओर भी चाँद में रौशनी हो,

वो हिस्सा तुम रख लेना.
और अँधेरे वाला हिस्सा
कर देना मेरे हवाले.

दरअसल वही हिस्सा तो

मुझे सूट भी बहुत करता है.

आदत जो हो गयी है,

इतने बरसों से

गुमनामी के अँधेरों में रहने की

तुम्हारे बगैर......
.
नूर
मौलिक /अप्रकाशित 

Views: 722

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 28, 2015 at 8:42am

शुक्रिया आ. विजय शंकर जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 28, 2015 at 8:42am

शुक्रिया आ. शिज्जू भाई 

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 28, 2015 at 7:44am

बहुत ही खूबसूरत रचना .....'सूट' हटा दें तो और अच्छा रहेगा ....सादर 

दरअसल वही हिस्सा तो

मुझे रास भी आयेगा

 

Comment by shree suneel on April 28, 2015 at 12:51am
आदरणीय निलेश जी, सुन्दर प्रस्तुति. दिल को छू लेने वाली इस कविता के लिए बहुत-बहुत बधाई आपको.
यदि 'सूट' के बदले कोई और शब्द हो तो...
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 27, 2015 at 8:35pm

वाह वाह वाह  नूर जी . इस गजलेतर रचना की ख़ूबसूरती को भी प्रणाम . क्या बात है --

और मेरा हाल-ए–दिल

बयां कर देता है उसके सामने

जो मुझसे मीलों दूर है                                          और

और अँधेरे वाला हिस्सा
कर देना मेरे हवाले.

दरअसल वही हिस्सा तो

मुझे सूट भी बहुत करता है.

आदत जो हो गयी है,

इतने बरसों से

गुमनामी के अँधेरों में रहने की

-

तुम्हारे बगैर.                                                                        इस रचना पर आपको मेरी शतसः       ----------------------------------------

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 27, 2015 at 6:59pm
बहुत ही सुन्दर आदरणीय नीलेश जी, न जाने कबसे चाँद पूजा, यात्रा, प्रेमी - प्रेमिकाओं के बीच एक सेटेलाइट की तरह मध्यस्थता कर रहा है, समय और दिशा बताता है, मिलाये न मिलाये जोड़े तो रखता है. बधाई, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 27, 2015 at 5:48pm
बहुत खूब निलेश भाई ग़ज़ल के अलावा पहली बार आपकी कोई और रचना फढ़ रहा हूँ यहाँ भी रंग जमा दिया आपने

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 27, 2015 at 4:19pm
आदरणीय नीलेश जी आप तो प्रकाशन हेतु नक्की करें बहुत अच्छा संकलन होगा।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 27, 2015 at 3:46pm

मेरा लालच मात्र ये है कि ऐसी बातों से मेरी दो डायरियाँ भरी हुई हैं, इस अल्हडपन को नाम मिल जाए तो ये भी चेप चाप के नक्की करें :))


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 27, 2015 at 3:05pm
आदरणीय नीलेश जी मैंने जो नज़्म पढ़ी है बह्र की बाध्यता नहीं लगी। लय में तो है रचना। मेरे हिसाब से तो मुझे नज़्म लगी। बाक़ी सुधिजन बता सकते है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"बहुत बहुत शुक्रिय: जनाब अमीरुद्दीन भाई आपकी महब्बतों का किन अल्फ़ाज़ में शुक्रिय:  अदा…"
1 hour ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"बहुत धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी, सलामत रहें ।"
1 hour ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"बहुत बहुत धन्यवाद भाई अशोक रक्ताले जी, सलामत रहें ।"
1 hour ago
Samar kabeer commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"//मुहतरम समर कबीर साहिब के यौम-ए-पैदाइश के अवसर पर परिमार्जन करके रचना को उस्ताद-ए-मुहतरम को नज़्र…"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"चूंकि मुहतरम समर कबीर साहिब और अन्य सम्मानित गुणीजनों ने ग़ज़ल में शिल्पबद्ध त्रुटियों की ओर मेरा…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Monday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)

1222 - 1222 - 1222 - 1222ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ कि वो इस्लाह कर जातेवगर्ना आजकल रुकते नहीं हैं बस…See More
Monday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आदरणीय समर कबीर जी को जन्म दिवस की हार्दिक बधाई और हार्दिक शुभकामनाऐं "
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब को ज़िन्दगी का एक और नया साल बहुत मुबारक हो, इस मौक़े पर अपनी एक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आ. भाई समर जी को जन्म दिन की असीम हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाई।"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"ओ बी ओ पर तरही मुशायरा के संचालक एवं उस्ताद शायर आदरणीय समर कबीर साहब को जीवन के अड़सठ वें वर्ष में…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service