For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सम्मान : लघुकथा

"कुछ सिखाओं अपनी माँ को | शहर में रहते पच्चीसों साल हो गये पर रही गंवार की गंवार |"
" बड़े साहब कितनी बार कहें बैठ जाओ पर ये बैठी नहीं |"
"कइसे बैठती जी, वो 'पैताने' बैठने को कहत रहा | "...सविता मिश्रा

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 890

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savitamishra on May 26, 2015 at 11:44pm

मदन भैया  ऐसा क्या हमने लिखा  जो समझ स पर हो गया आपके

Comment by Madan Mohan saxena on May 20, 2015 at 2:53pm

samajh se pare

Comment by savitamishra on April 18, 2015 at 10:29am

आप सभी आगंतुकों का तहेदिल से आभार व्यक्त करतें हैं ..आपकी प्रतिक्रियाओ से सीख मिलती हैं ...जो लिखते वक्त लगता हैं सही लिखा हैं उसकी प्रतिक्रिया के बाद पता चलता हैं कि कहीं तोकुछ कमी  हैं ...इसमें भी कमियाँ निकली पर कुछ  ने  सही  ठहराया  ..दोनों तरह के अनुभवी लोगों का सादर आभार  ...यूँ ही मार्गदर्शन करतें रहियें ....आप केबोलने से ही हम सीखते हैं सादर 

Comment by savitamishra on April 17, 2015 at 2:38pm

आदरणीय सौरभ भैया दिल से आभार ...सादर नमस्ते
कलम चलते चलते कभी कभी अनजाने में अच्छी चल जाती हैं | सही कहते लोग मुर्ख भी और बच्चा भी ज्ञान की भाषा कभी न कभी बोल जाता हैं....आज शायद  हमरी  कलम भी  चल  गयी   | ..कुछ ऐसा ही महसूस हो रहा हैं आज


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 16, 2015 at 11:38pm

आपकी कथा को तो पढ़ा ही, इस कथा पर आयी प्रतिक्रियाओं को भी पढ़ा, आदरणीया सविताजी. आपकी कथा का मर्म बहुत ही महीन है. पैताने वाली बात मुझे गहरे छू गयी. कथा के साहेब को शायद पता न होगा और अनजाने में उनके द्वारा दिया गया सम्मान भी वृद्धा माता को नागवार गुजरा. अवश्य गुजरा होगा.

आपकी इस लघुकथा की अंतरधारा का हम सम्मान करते हैं आदरणीया..

सादर

Comment by savitamishra on April 16, 2015 at 10:59pm

जिंतेंद्र भाई बहुत बहुत शुक्रिया दिल से

Comment by savitamishra on April 16, 2015 at 10:59pm

अमन भाई और श्याम भाई दिल से आभार आपका व्यक्त करतें हैं ..सहीं कहा आपने लाभ और लोभ दोनों भारी पड़ते है संस्कार गौड़

Comment by savitamishra on April 16, 2015 at 10:56pm

 गोडवारी भी कहते हैं हरी भैया ....
परबत के पैताने पहुँचे परबत के सिरहाने भी
कहाँ-कहाँ तक ले जाते हैं अक्सर कई बहाने भी......ये 
रामकुमार कृषक जी की कविता है
जब ये गाना सुने ही हैं फिर कैसी समस्या ....हमने तो नहीं सुना ..बस लिखते समय पैताने ही शब्द दिमाग में आया .....mudsire, godsire भी आ रहा हैं दिमाग में शायद कहते हैं
इस बार जा रहें हैं इलाहाबाद ध्यान से सुनेगे आंचलिक शब्द

Comment by savitamishra on April 16, 2015 at 10:50pm

माननीय राजकुमार भैया आभार ..सही कहा पहले घुट्टी में ही मिलते थे ..अब सब चलता हैं जैसे संस्कार घुटाये जातें हैं

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 16, 2015 at 7:46pm

बहुत सुंदर लघुकथा, आदरणीया सविता जी. बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
2 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
18 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service