For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - जिंदगी में तुम्हारी लहर मैं पिया

212 212 212 212

 

छोड़ दूँ अब कुंवारा नगर मैं पिया

काट लूँ सँग तुम्हारे सफर मैं पिया

 

मन न माने मगर क्या बताऊँ तुम्हें

साथ दोगे चलूंगी सहर मैं पिया

 

पंखुड़ी खिल गयी राग पाकर कहीं

बेज़ुबां अब न खोलूं अधर मैं पिया

 

मौत का गम नहीं साथ तुम हो मेरे   

मुस्करा के पिउंगी जहर मैं पिया

 

अब तुम्हारे सिवा कुछ न चाहूंगी मैं

दिल मिलाओ मिलाऊं नज़र मैं पिया

 

दूर से देखकर आज रुकना नहीं

साथ चलकर ही पाऊँ शिखर मैं पिया

 

भावना में कहीं बह न जाऊं “निधि”

जिंदगी में तुम्हारी लहर मैं पिया

निधि

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 585

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 16, 2015 at 5:43pm

सही कहूँ तो आज आपने वाकई हमें चौंका दिया, आदरणीया निधिजी. हिन्दी मनोभावनाओं की भूमि पर कही जा रही ग़ज़लों की जो अंतर्धारा होती है, आपकी ग़ज़ल उस धार में बही जाती दिखी. आपके इस उन्मुक्त प्रयास से मन उत्फुल्ल है.

ऐसी ग़ज़लों की अंतर्धारा गीतात्मक हुआ करती है.
फिर, शिल्प पर आपको इस शिद्दत से लगे देखना अपार संतोष का कारण बना है. आप सतत प्रयासरत रहें. सब सधता जा रहा है.

छोड़ दूँ अब कुंवारा नगर मैं पिया
काट लूँ सँग तुम्हारे सफर मैं पिया .. संग को सँग न लिखें. इस हिसाब संग तुम्हारे से संग तेरे करना उचित होगा, इसके बावज़ूद शुतुर्ग़ुर्बा का दोष नहीं आ रहा.

मन न माने मगर क्या बताऊँ तुम्हें
साथ दोगे चलूंगी सहर मैं पिया ......... सहर ? इसका माने तो सवेरा होता है. आप संभवतः शहर कहना चाह रही हैं.

पंखुड़ी खिल गयी राग पाकर कहीं
बेज़ुबां अब न खोलूं अधर मैं पिया.. ...   सही .. :-))

मौत का गम नहीं साथ तुम हो मेरे   
मुस्करा के पिउंगी जहर मैं पिया ........... वाह -वाह !
मुस्करा = मुस्कुरा ; पिउंगी = पियूँगी

अब तुम्हारे सिवा कुछ न चाहूंगी मैं
दिल मिलाओ मिलाऊं नज़र मैं पिया....... इसे तनिक और कसना था.

भावना में कहीं बह न जाऊं “निधि”
जिंदगी में तुम्हारी लहर मैं पिया ............ बहुत खूब !

मेरी नज़र से गुजरे आपके इस प्रथम सार्थक प्रयास पर हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाइयाँ.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 16, 2015 at 2:48pm

आदरणीया निधि जी , बढ़िया गज़ल कही है आपने , दिली बधाईस्वीकार करें ॥ 

जिस लफ़्ज़ - सहर  ( सवेरा ) का आपने उपयोग किया है , मै अर्थ नही समझ पाया ॥

Comment by Hari Prakash Dubey on April 15, 2015 at 10:51pm

 आदरणीया  निधि अग्रवाल जी, इस सुन्दर रचना पर बधाई आपको ! सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 15, 2015 at 5:20pm

निधि जी

आपकी इस गजल  में मोहकता है मिठास है , मार्दव है ,मृदुता है . सादर.

Comment by Samar kabeer on April 15, 2015 at 10:42am
मोहतरमा निधि अग्रवाल जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें |
Comment by shree suneel on April 15, 2015 at 1:24am
आदरणीया निधि जी, खूबसूरत रदीफ़ वाली इस ग़ज़ल के लिए बधाई.
अब तुम्हारे सिवा कुछ न चाहूंगी मैं
दिल मिलाओ मिलाऊं नज़र मैं पिया"
बहुत खूब..
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 14, 2015 at 10:42pm

मौत का गम नहीं साथ तुम हो मेरे   

मुस्करा के पिउंगी जहर मैं पिया

सुन्दर गजल पर बधाईयां निधि जी!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2015 at 4:26pm

छोड़ दूँ अब कुंवारा नगर मैं पिया

काट लूँ संग तुम्हारे सफर मैं पिया

मौत का गम नहीं साथ तुम जो मेरे   

मुस्करा के पिउंगी जहर मैं पिया पीउंगी 

वाह निधि जी वाह, बहुत ही प्यारी ग़ज़ल हुई दाद देता हूँ.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
14 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
16 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service