For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहुत कुछ दांव पे लगाया है .....

१ २ २ २ १२ १ २२२
बड़ी मुश्किल उसे मनाया है ॥
बहुत कुछ दांव पे लगाया है ॥
किसे कहते कि बेवफा है वो ,
हँसा हम पे जिसे बताया है ॥
बसा दिल-ओ-दिमाग में वो ही ,
अचानक सामने जो आया है ॥
लगे ऐसा हमें खुदा ने उसे ,
हमारे के लिए बनाया है ॥
हुआ है एहसास जन्नत का ,
जो माँ ने गोद में सुलाया है ॥
कहाँ होशो-हवास की बातें ,
किसी पे जब शबाब आया है ॥
लगे है वो पवित्र गंगा सा ,
करिंदा जो पसीने से नहाया है ॥
मौलिक /अप्रकाशित

Views: 706

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 10, 2015 at 3:58pm

आदरणीय नजील जी ..आपसे पहली बार परिचय हुआ ...आपके प्रयास के लिए हार्दिक शुभकामनाएं सादर 

Comment by Nazeel on April 9, 2015 at 11:48am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी  आपका बहुत बहुत धन्यावाद।  भाई जी  मैं  गुनीजनो   की सलाह पर  ही  ध्यान  दे रहा हूँ । आपका हार्दिक आभार । 

Comment by Nazeel on April 9, 2015 at 11:42am

आदरणीय डॉ.  विजय  शंकर जी  हौसला देने के लिए  हार्दिक आभार। । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 9, 2015 at 11:37am

आदरणीय नज़ील भाई , अच्छी गज़ल हुई है , हार्दिक बधाइयाँ । जानकारों की सलाहों का खयाल कीजियेगा ॥

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 9, 2015 at 11:30am
बहुत ही खूबसूरत , बहुत बहुत बधाई , सादर।
Comment by Nazeel on April 9, 2015 at 11:12am

आदरणीय मिथिलेश भाई जी बहुत बहुत धन्यवाद  । आप जैसे गुणीजनों  की की सोहबत  में बहुत कुछ  सीखने को  मिलता है।  जो   शेयर  बेबह्र है उसको सुधारने  की कोशिश करता हूँ ।  हार्दिक आभार । 

Comment by Nazeel on April 9, 2015 at 11:06am
आदरणीया राजेश कुमारी जी आपका तहे दिल से शुक्रिया. आपने रचना पर गौर फ़रमाया गलती सुधारने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
Comment by Nazeel on April 9, 2015 at 11:04am
आदरणीय भाई कृष्णा मिश्रा जी आपका हार्दिक आभार …मित्रवत सुझाव देने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यावाद , देखता हूँ किन शायरों में ध्यान की दरकार है। हार्दिक धन्यावाद

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 8, 2015 at 11:44pm

आदरणीय नाज़िल जी बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है, हार्दिक बधाई .... शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं

 मैं भी आदरणीया राजेश दीदी से सहमत हूँ  बड़ी मुश्किल कर लीजिये 

ये शेर बेबह्र हो रहा है -

लगे है वो पवित्र गंगा सा ,
करिंदा जो पसीने से नहाया है ॥....... पसीने से कोई नहाया है / पसीने से कि जो नहाया है (बह्र-१२२ २ १२ १२२ २)

सादर 

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 8, 2015 at 10:54pm

मतला अच्छा है पर बड़ी मुश्किल कर लीजिये

हुआ है एहसास जन्नत का , 
जो माँ ने गोद में सुलाया है ॥ ---सुन्दर शेर है 

लगे ऐसा हमें खुदा ने उसे ,
हमारे के लिए बनाया है ॥ ----हमारे लिए होता है हमारे के लिए नहीं ---हमारे वास्ते बनाया है कर सकते हैं 

कुछ वक़्त और मांगती है ग़ज़ल 

अंतिम शेर में ये करिंदा क्या है ? मैं समझ नहीं पाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service