For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चंद लफ़्ज़ों के लिये दूरियां बढती चली गयी

चंद लफ़्ज़ों के लिये दूरियां बढती चली गयी 
डोर बनी थी कड़वाहट की बस कसती चली गयी

रंग भरे थे ख्वाब उसके, मंजिल तलक था जाना 
राह उसकी बस लाल रंग में बदलती चली गयी

खुशियाँ ही चाहती थी वो अपनों की आँखों में 
कालिख क्यों उनके चेहरे बिखरती चली गयी

जीना ही तो चाहती थीं न वो दिलों में बसकर 
बेटियाँ तो तस्वीर बनकर लटकती चली गयी

चोटियों पर पहुँचने का अरमान रखा उसने 
इच्छायें दायरों में ही "निधि" बंधती चली गयी

निधि

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 464

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nidhi Agrawal on April 10, 2015 at 4:17pm

Dhanyawad जवाहर जी.. आपने सही कहा राहें कठिन हैं .. और आगे बढ़ना होगा .. 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 9, 2015 at 10:21pm

आदरणीया आपने एक महिला की जज्बात को रखने की कोशिश की हैं  ... पर मैं कहूँगा कि रास्ते कठिन हैं, पर बिना कांटे के गुलाब तो दिखा - आज ही सुभाष चन्दर ने महिलाओं की सभा में संबोधित करते हुए कहा था ... सादर!

Comment by Nidhi Agrawal on April 9, 2015 at 7:23pm

डॉ विजय जी सच कहा .. रचना अधूरी है अभी .. 

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 9, 2015 at 7:15pm
चोटियों पर पहुँचने का अरमान रखा उसने
इच्छायें "निधि" दायरों में ही सिमटती चली गयीं
थोड़ा सा बदला है, शायद अच्छा लगे। आप संभवत: कहना बहुत कुछ चाहतीं हैं , पर कहीं रुक गयीं हैं, कुछ सोचने के लिए छोड़ रही है आपकी यह रचना।
बधाई , इस प्रस्तुति पर आदरणीय सुश्री निधि अग्रवाल जी, सादर।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 9, 2015 at 6:54pm

पिछले दिनों आपकी एक प्रस्तुति आयी थी. अच्छा लगा था. सुधीजनों का उत्साहवर्द्धन प्रभावी हो. द्विपदी को ग़ज़ल विधा का स्वरूप दें एवं तदनुरूप प्रयास करें.
विश्वास है, आपका अभ्यास सतत हो चला होगा.
शुभेच्छाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 9, 2015 at 3:09pm

आदरणीया निधि जी , सुन्दर भाव अभिव्यक्ति हुई है , हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by Nidhi Agrawal on April 8, 2015 at 2:38pm

आदरणीय शिज्जू जी .. सुनील जी आभार आपका 

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on April 8, 2015 at 12:06pm
सुन्दर भावनाओं की अभिव्यक्ति मोहक लगी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 8, 2015 at 9:59am

आदरणीय निधि जी भावभिव्यक्ति बहुत अच्छी है बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
38 minutes ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
41 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
41 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
42 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी ठीक है  मशविरा सब ही दे रहे हैं पर/ मगर ध्यान रख तेरे काम का क्या है ।"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी सादर नमस्कार। बहुत बहुत आभार आपका।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर नमस्कार। बहुत बहुत शुक्रियः आपका"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई आपको।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सम्माननीय ऋचा जी । बहुत बहुत आभार"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service