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ग़ज़ल- निलेश 'नूर' रुसवाइयों से रोज़ मुलाक़ात काटिये

गागा लगा लगा लल गागा लगा लगा 

रुसवाइयों से रोज़ मुलाक़ात काटिये
जबतक है जान जिस्म में, दिनरात काटिये.
.
है आप में अना तो अना मुझ में भी है कुछ 
यूँ बात बात पे न मेरी बात काटिये.  
.
ये कामयाबियों के सफ़र के पड़ाव हैं  
अय्यारियाँ भी सीखिए जज़्बात काटिये.
.
अगली फसल कटे तो करें इंतज़ाम कुछ
तब तक टपकती छत में ही बरसात काटिये.
.
ये इल्तिज़ा है आपसे इस मुल्क के लिए  
दिल से ये नफरतों के ख़यालात काटिये.  
.
रौशन ख़याल हो तो अँधेरों की फिक्र क्या  
ख़ुद को चराग़ कीजिए ज़ुल्मात काटिये   

.
नूर 
मौलिक/अप्रकाशित 

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Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 23, 2015 at 3:27pm

शुक्रिया आदरणीय 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 23, 2015 at 3:21pm

रौशन ख़याल हो तो अँधेरों की फिक्र क्या  
ख़ुद को चराग़ कीजिए ज़ुल्मात काटिये
......... 

इस शेर के सापेक्ष इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाइयाँ..

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 3, 2015 at 6:48pm

प्रवास में था अत: धन्यवाद ज्ञापित करने उपस्थित न हो सका 
धन्यवाद आ. गिरिराज जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 3, 2015 at 6:48pm

प्रवास में था अत: धन्यवाद ज्ञापित करने उपस्थित न हो सका 
धन्यवाद आ. उमेश जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 3, 2015 at 6:47pm

प्रवास में था अत: धन्यवाद ज्ञापित करने उपस्थित न हो सका 
धन्यवाद आ. सोमेश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 2, 2015 at 1:28pm

है आप में अना तो अना मुझ में भी है कुछ 
यूँ बात बात पे न मेरी बात काटिये.  

अगली फसल कटे तो करें इंतज़ाम कुछ
तब तक टपकती छत में ही बरसात काटिये.
आदरणीय नीलेश भाई , बहुत बढिया गज़ल हुई है , पूरी गज़ल के लिये और ऊपर के अश आर के लिये दिली मुबारक बाद कुबूल करें ॥

.

Comment by umesh katara on April 2, 2015 at 12:40pm

है आप में अना तो अना मुझ में भी है कुछ  
यूँ बात बात पे न मेरी बात काटिये.   वाह वाह  वाह और वाह सर

Comment by somesh kumar on April 2, 2015 at 11:57am

सुंदर सार्थक और समृद्ध गज़ल ,बधाई इसे गुनगुनाने में अलग ही आनन्द की अनुभूति हो रही है |

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 2, 2015 at 11:57am

शुक्रिया आ. लक्ष्मण जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 2, 2015 at 11:57am

शुक्रिया आ. मोहन  जी 

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