For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल :- उजाला काटने को दौड़ता है |

बह्र :-फ़ऊलुन फ़ाईलातुन फ़ाईलातुन

दिवाना पन नहीं तो और क्या है
उजाला काटने को दौड़ता है

यही छोटा सा घर दुनिया है मेरी
इसी का नाम जन्नत रख दिया है

मैं भूका हूँ मुझे रोटी खिला दो
कोई साइल गली में चीख़ता है

मैं सच्चाई के पैरों पर खड़ा हूँ
मुक़ाबिल झूट के सर पर खड़ा है

सभंल कर ए दिल-ए-नादाँ सभंल कर
तू किन ऊंचाईयों को छू रहा है

वहीं से रोशनी फूटी है यारो
जहाँ मेरा सितारा डूबता है

"समर" दिल आपने तोड़ा है जबसे
अजब हमदर्दियों का सिलसिला है

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 989

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nazeel on April 1, 2015 at 10:49am

आदरणीय समर कबीर जी बेहद  रचना  हार्दिक बधाई।  आपकी  रचनाओं  से बहुत कुछ  सिखने को मिलता है  , एक बार फिर से दिली दाद क़ुबूल फरमाये |

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2015 at 10:42am
बड़ी ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है आ. समर साहब। दिली दाद कुबूल कीजिए
Comment by Samar kabeer on April 1, 2015 at 10:34am
आली जनाब डॉ.गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी,आदाब,आप जैसे विद्वान की शिर्कत ग़ज़ल में हुई हौसला बढ़ गया,ज़र्रा नवाज़ी के लिये तहे दिल से शुक्रिया |
Comment by Samar kabeer on April 1, 2015 at 10:28am
जनाब निलेश "नूर" जी,,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रिया |
Comment by Samar kabeer on April 1, 2015 at 10:27am
जनाब मिथिलेश वामनकर जी,आदाब,आप ख़ुद अच्छा लिखते हैं,और जो ख़ुद अच्छा होता है वो सब को अच्छा समझता है, ज़र्रा नवाज़ी के लिये तहे दिल से शुक्रिया |
Comment by Samar kabeer on April 1, 2015 at 10:20am
जनाब श्याम नारायण वर्मा जी,आदाब,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रिया |
Comment by Samar kabeer on April 1, 2015 at 10:17am
जनाब हरी प्रकाश दुबे जी,आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत के लिये तहे दिल से शुक्रिया |
Comment by Samar kabeer on April 1, 2015 at 10:14am
आली जनाब डा.विजय शंकर जी,आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रिया |
Comment by Samar kabeer on April 1, 2015 at 10:10am
जनाब लक्ष्मण धामी जी,आदाब ज़र्रा नवाज़ी के लिये तहे दिल से शुक्रिया |
Comment by Samar kabeer on April 1, 2015 at 10:07am
जनाब शिज्जु "शकूर" जी,आदाब,ग़ज़ल में आप की शिर्कत हो गई मेरे लिये इतना ही काफ़ी है,हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रिया |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
7 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 16

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service