बहुत बार समझाया
कभी दिल को फुसलाया
मगर खुद ही ना समझ पाया
मैं हूँ क्यों यहाँ पर
बस रोज़ वो अँधेरे
और तेरी यादें के
दहकते अंगारे
परवानों सा जलने की
दुआ करता हूँ
कुछ हसीन सपनों का व्यापार
अपनी नींदों से
किया करता हूँ
दिल में बसी मूरत को
पलकों में छिपा रखता हूँ
तेरी यादों को
कागज पे अक्सर उतार देता हूँ
जब सूने पन्ने पे तेरा नाम आता है
क्या जानू क्यूँ पन्ने को
अहंकार हो जाता है
और मुझे फिर से प्यार हो जाता है !!
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR जी हार्दिक आभार ...सादर
कुछ हसीन सपनों का व्यापार अपनी नींदों से किया करता हूँ
दिल में बसी मूरत को पलकों में छिपा रखता हूँ बहुत सुन्दर जज्बात।
भ्रमर ५
आदरणीय Manoj kumar Ahsaas जी तहेदिल से आपका धन्यवाद ...सादर
आदरणीय vijay nikore जी हार्दिक आभार ...सादर
अति सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।
आदरणीया Chhaya Shukla जी उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार....सादर
इस भाव प्रधान महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना "सूने पन्ने पे तेरा नाम"
की हार्दिक बधाई स्वीकारें |
आ. मोहन जी
पुनः बधाई !
आदरणीय Shyam Mathpal जी धन्यवाद ...सादर
आदरणीया Meena Pathak जी आभार ..सादर
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