For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पिया मिलन की आस

मन वीणा के झनके तार ,

पिया मिलन की आई रात |

सकुचाती , इठलाती पहुँची द्वार ,

पिया मिलन की मन में आस ||

उनके रंग में रंग जाऊँगी ,

दूजा रंग न मन भाऊँगी |

अधरों पर अधरों की लाली ,

खिल मन में इठलाऊँगी ||

आज रति ने छेड़ी मधुतान ,

पिया मिलन की मन में आस ||

गलबाहों का हार पहनाकर ,

मंद – मंद मुसकाऊँगी |

श्वासों की मणियों से ,

भावों को खूब सजाऊँगी ||

आज आया जीवन में मधुमास ,

पिया मिलन की मन में आस ||

तन – मन की दूरी का ,

हर आयाम मिटाउँगी |

प्रेमपाश में डूब पिया के ,

अवगुंठित भावों को पंख लगाऊँगी ||

आज अहसासों ने खोली पाल ,

पिया मिलन की मन में आस ||

मन के अहसासों की डोली ,

पहुँची जब पिय के द्वार |

अरमानों का ताज सजा ,

ढूँढ़ रही उनको निगाह ||

कहाँ छुपे निष्ठुर तुम आज ,

पिया मिलन की मन में आस ||

मादक द्रव्यों की मादकता ,

ले डूबी तुम्हें,किया निढ़ाल |

मेरी पदचापों से भी ,

न टूटा तुम्हारा ये भ्रमजाल |

पल – पल में बीती जाती है रात ,

पिया मिलन की मन में आस ||

शुभ्र चाँदनी की सिमटी बाहें ,

रश्मिरथी ने किया प्रकाश |

पक्षियों की हलचल में ,

टूटा मन वीणा का तार |

आज बिखरा मेरे सपनों का जाल ,

पिया मिलन की मन में आस ||

हाय ! प्रियतम तनिक धैर्य धरा होता ,

मधुशाला की हाला को तज |

अपने जीवन में ,

मेरा स्वप्न बुना होता |

तो , प्रेम का रसपान कराती ,

जीवन में मधुमास बन आती |

खुद की अभिलाषाओं से दूर ,

तेरा हर स्वप्न सजाती ||

अब व्याकुल मन ये करे पुकार ,

पिया मिलन की मिट गई आस ||

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 745

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on March 26, 2015 at 10:19pm

बहुत खूब , लाजवाब सृजन 

Comment by Meena Pathak on March 26, 2015 at 8:54pm

बहुत सुन्दर ..बधाई आप को 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 26, 2015 at 9:42am

आदरणीया अंजू जी सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई, शुभकामनायें !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 25, 2015 at 10:52pm

आदरणीया अंजू जी , अच्छी भाव पूर्ण  कविता हुई है , बधाइयाँ ।

Comment by ANJU MISHRA on March 25, 2015 at 7:29pm

प्रोत्साहन हेतु आप सभी  का आभार !

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 24, 2015 at 10:17pm
प्रस्तुति पर बधाई, आदरणीय , सादर।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 24, 2015 at 9:01pm

मद्दपान पर चोट करती,सुन्दर रचना के लिए बधाईयां!आ० अंजू जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 24, 2015 at 8:58pm

आदरणीया अंजू जी सुन्दर कविता के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 24, 2015 at 8:26pm

आ० अंजू जी

भाव भीनी कविता . अंत एक अवसाद लिए . यही  जीवन है . सादर .

Comment by Shyam Mathpal on March 24, 2015 at 8:06pm

बहुत सुंदर रचना . ढेरों बधाई .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
yesterday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"बदलते लोग  - लघुकथा -  घासी राम गाँव से दस साल की उम्र में  शहर अपने चाचा के पास…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"श्रवण भये चंगाराम? (लघुकथा): गंगाराम कुछ दिन से चिंतित नज़र आ रहे थे। तोताराम उनके आसपास मंडराता…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ेफ जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"//जिस्म जलने पर राख रह जाती है// शुक्रिया अमित जी, मुझे ये जानकारी नहीं थी। "
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से सीखने को मिला। इसके लिए हार्दिक आभार। भविष्य में भी मार्ग दर्शन…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"शुक्रिया ज़ैफ़ जी, टिप्पणी में गिरह का शे'र भी डाल देंगे तो उम्मीद करता हूँ कि ग़ज़ल मान्य हो…"
yesterday
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। आ. अमित जी की इस्लाह महत्वपूर्ण है।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service