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ग़ज़ल (राज अब कौन सा छुपाता है )

2122 1212 22

 

रोज किसके यहाँ तू* जाता है,

राज अब कौन सा छुपाता है !!

 

है इमां साथ में अगर तेरे,

साथ वो दूर तक निभाता है !!

 

जब रहे साथ साथ हम दोनों

प्यार का गीत तब ही* भाता है !!

 

देखता हूँ अजीब से सपने,

नीद को कौन आ चुराता है !!

 

आज बनना सभी को* है टाटा,

ख्व़ाब बुनना तो सबको* आता है !!

 

शोक इतने  नहीं किया करते,

बस यही जिंदगी का* नाता है !!

 

लालसा मत करो कभी इतनी ,

क्योकि कोई बड़ा न दाता है !!

 

"मौलिक व अप्रकाशित"

** आलोक **

मथुरा

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Comment

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Comment by maharshi tripathi on March 15, 2015 at 9:53pm

इस सुन्दर रचना पर आपको ,,,हार्दिक बधाई आ.Alok Mittal  जी |

कृपया ध्यान दे...

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