For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राह : कुकुभ छन्द: हरि प्रकाश दुबे

डरना हो तो बुरे कर्म से , डरना सीखो मतवाले !

उनको चैन कभी ना मिलता , जिनके होते मन काले !!

तोल सको तो पहले तोलो, बिन तोले कुछ मत बोलो !

मौन रहो जितना संभव हो , कम बोलो मीठा बोलो !!

 

खाना हो तो गम को खाओ, आंसू पीकर खुश होना  !

गम सहने की चीज है बंधू , अपना गम न कहीं रोना !!

जला सको तो अहं जला दो , वरना अहं जला देगा !

हिरण्यकश्यप रावण के सम, तुमको भी मरवा देगा !!

 

दिखा सको तो राह दिखाओ , उसको जो पथ में भूला !

भगत सिंह ने हमें जगाया  , खुद था फांसी पर  झूला !!

मरना हो तो मरो देशहित,  मरने से मत  घबराना  !

रोज रोज तिल तिल मरने से ,अच्छा इक दिन मर जाना  !!

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित”

Views: 817

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on March 5, 2015 at 2:05pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय  सर , रचना को स्वीकृति प्रदान करने एवं मान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद ,रचना संशोधन के साथ पुनः प्रस्तुत है , सादर।

Comment by Hari Prakash Dubey on March 5, 2015 at 2:01pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी आपका बहुत - बहुत धन्यवाद ! सादर

Comment by Hari Prakash Dubey on March 5, 2015 at 2:00pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, रचना सुधार के साथ पुनः प्रस्तुत है ,आपकी प्रतिक्रिया से बहुत उत्साह मिला आपका बहुत - बहुत धन्यवाद ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 5, 2015 at 1:56pm

आदरणीय मोहन सेठी सर , ह्रदय से धन्यवाद आपको ! सादर

Comment by Hari Prakash Dubey on March 5, 2015 at 1:54pm

प्रिय सोमेश भाई , आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका ! सस्नेह

Comment by Hari Prakash Dubey on March 5, 2015 at 1:52pm

प्रिय कृष्ण मिश्र जी, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया  के लिए बहुत बहुत धन्यवाद  !

Comment by Hari Prakash Dubey on March 5, 2015 at 1:42pm

आदरणीय डॉक्टर गोपाल नारायण सर ,रचना सुधार के साथ पुनः प्रस्तुत है , कृपया एक नज़र और देख लीजियेगा ! आभार आपका ! सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 3, 2015 at 6:26pm

आ० हरि  प्रकाश जी

आपका परिश्रम आपकी  रचना से ही मुखर है  i भगत सिंह हमें जगाकर --इसमें कोई शब्द छूट गया है i देख लीजिये i सादर i

Comment by Hari Prakash Dubey on March 3, 2015 at 5:40pm

आदरणीय गिरिराज सर , बहुत बहुत आभार आपका ! सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 3, 2015 at 5:36pm

आदरणीय हरि प्रकाश भाई , तीनो छंद लाजवाब हैं , आपको हार्दिक बधाई , छंद रचना के लिये ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी मंच  आपका निर्णय  आपके । सादर नमन "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरना जी, आप आदरणीय योगराज भाईजी के कहे का मूल समझने का प्रयास करें। मैंने भी आपको…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने …"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"ठीक है आदरणीय योगराज जी । पोस्ट पर पाबन्दी पहली बार हुई है । मंच जैसा चाहे । बहरहाल भविष्य के लिए…"
5 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आ. सुशील सरना जी, कृपया 15-20 दोहे इकट्ठे डालकर पोस्ट किया करें, वह भी हफ्ते में एकाध बार. साईट में…"
5 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर ओ बी ओ का मेल वाकई में नहीं देखा माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय नीलेश जी, आ. गिरिराज जी ,आ.…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ ।  इंगित बिन्दुओं पर…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"ओबीओ का मेल चेक करें "
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन....दोष तो दोष है उसे स्वीकारने और सुधारने में कोई संकोच नहीं है।  माफ़ी…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service