For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तू मेहरबां है के खफा है मुझे पता तो लगे..

गुलशन में बातें सुलग रहीं है..जरा हवा तो लगे..

मोहब्बतों में ऐसा जलना भी क्या?बुझना भी क्या?

जले तो आंच न आये,बुझे तो न धुँआ लगे..

अजब हो गया है अब तो चलन मुहब्बतों का..

मै वफ़ा करूँ तो है उसको बुरा लगे...

वो चाहता है के मै उसके जैसा बन जाऊ...

है जो हमारे दरमियाँ न किसी को पता लगे..

इस साल भी बेटी न ब्याही जाएगी...

गन्ने/गल्ले का दाम देख किसान थका-थका सा लगे..

ये कैसी मेरे शहर ने की है तरक्की...

जिस शख्श को भी देखता हूँ....है बुझा-बुझा सा लगे..

सरकार में तुम्हारी वहशी दरिन्दे लार टपकाये फिरते है?

इस समाजवाद में ,समाजवादी ठगा-ठगा सा लगे..

तेरे काबां की मै क्या कहूँ बात जाविदाँ ए-दोस्त

मेरे मंदिर में मुझको मेरा भगवान बिल्कुल तेरे खुदा सा लगे..

तेरे अजान जैसे हो शंखनाद मेरे शिव के...

आरती मेरे घर की मुझको कलमा सा लगे...

''मौलिक व अप्रकाशित''

-‘जान’ गोरखपुरी

२५ फ़रवरी २०१५

Views: 667

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 28, 2015 at 2:38pm

आदरणीय मोहन सेठी 'इंतज़ार' जी सादर अभिनन्दन!!..आपकी हौसलाफजाई  मेरे लिए अलग मुकाम रखती है..इसी प्रकार स्नेह बनाये रक्खें सर!बहुत बहुत शुक्रिया!आभार!

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on February 27, 2015 at 4:49am

आदरणीय  krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी बहुत प्रभावी और दमदार शब्द .....बधाई ......मंगलकामनाएँ

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 26, 2015 at 10:02pm

भाई maharshi tripathi जी आपका स्नेह पाकर मै अभिभूत हूँ!बहुत बहुत आभार!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 26, 2015 at 9:59pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर प्रणाम!प्रोत्साहन के लिए शुक्रिया!आभार!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 26, 2015 at 9:57pm

आदरणीय rajesh kumari जी हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत आभार!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on February 26, 2015 at 9:55pm

आदरणीय hari prakash dubey ji...प्रणाम स्वीकार करे!..सर आप सभी अग्रज मेरे लिए गुरुतुल्य..मै हर प्रकार से आपका शिष्य/अनुज हूँ..इसलिये आप से विनम्र अनुरोध है कि मेरे लिए आदरणीय संबोधन का प्रयोग कर मुझे पाप का भागी न बनावे...आप सभी गुरुजन सीधे मेरे नाम से ही संबोधित करे!...सर आपको रचना पसंद आई मेरे लिए यही बड़ी उपलब्धि है! बहुत बहुत आभार!

Comment by Hari Prakash Dubey on February 26, 2015 at 9:19pm

 आ .कृष्ण मिश्रा जी सुन्दर रचना हार्दिक बधाई आपको !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 26, 2015 at 8:21pm

इस साल भी बेटी न ब्याही जाएगी...

गन्ने/गल्ले का दाम देख किसान थका-थका सा लगे..उम्दा शेर 

तेरे अजान जैसे हो शंखनाद मेरे शिव के...

आरती मेरे घर की मुझको कलमा सा लगे...,,,प्रभावी पंक्तियाँ 

बहुत बहुत बधाई आपको कृष्णा  जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 26, 2015 at 7:08pm
सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई।
Comment by maharshi tripathi on February 26, 2015 at 5:25pm

तेरे अजान जैसे हो शंखनाद मेरे शिव के...

आरती मेरे घर की मुझको कलमा सा लगे...,,,,,,,अत्यंत सुन्दर पंक्तिया आपको हार्दिक बधाई आ,कृष्णा मिश्रा जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
6 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
10 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service