For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीवन कठिनाईयों मे 

गुजर रहा है ऐ मौला 

रात गुजर रही है 

बगैर नींद के ऐ मौला 

बेपरवाह एक जुगनू 

खलल डाल रहा ऐ मौला 

सफर मे चला जा रहा हूँ 

मंजिल की तलाश मे ऐ मौला

कहता बहुत हूँ, चीखता बहुत हूँ 

सुनता कोई नहीं ऐ मौला 

काली रात कटेगी, सुबह तो होगी 

इंतजार मे हूँ ऐ मौला 

जख्म इतना दिया कि 

इंतहा कि हद कर दी 

जख्म के दर्द का अहसास न रहा ऐ मौला

खारा हो गया हूँ जैसे समंदर का पानी 

अब मिठास की आस है ऐ मौला 

हमनवा, हमनवा न रहा 

हमसफर, हमसफर नहीं 

परछाई भी कतरा रही अब तो मौला .... 

( मौलिक व अप्रकाशित) 

Views: 700

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 26, 2015 at 7:36pm

सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on February 26, 2015 at 7:12pm

कठिनाइयाँ जीवन की उत्प्रेरक भी हो सकती हैं बिना परेशानी भी कोई जिन्दगी है? एक प्रबुद्ध विचारक का कहना है 

Comment by Amod Kumar Srivastava on February 25, 2015 at 8:40pm

 आदरणीय Dr. Gopal Narayan Srivastava jee  आपके स्नेहशील आशीर्वाद के लिए धन्यवाद ... सादर 

Comment by Amod Kumar Srivastava on February 25, 2015 at 8:38pm

आभार Pari M Shlok ji ... 

Comment by Amod Kumar Srivastava on February 25, 2015 at 8:37pm

 धन्यवाद Virender Veer Mehta jee  आपका ... सादर 

Comment by Amod Kumar Srivastava on February 25, 2015 at 8:37pm

आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी आपको धन्यवाद मेरे उत्साहवर्धन के लिए ... 

Comment by Amod Kumar Srivastava on February 25, 2015 at 8:35pm

 आभार मिथिलेश वामनकर जी सुंदर टिप्पड़ी के लिए 

Comment by Amod Kumar Srivastava on February 25, 2015 at 8:34pm

बहुत बहुत आभार Maharshi Tripathi jee सुंदर टिप्पड़ी के लिए 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 25, 2015 at 4:53pm

आमोद जी

आपको जीवन में

शान्ति दे ऐ मौला

आपकी कविताई

को कांति दे ऐ मौला

आपकी हर ले

हर भ्रान्ति ऐ मौला -------------------सप्रेम !

Comment by Pari M Shlok on February 25, 2015 at 2:45pm
आदरणीय आमोद कुमार श्रीवास्तव जी , सुन्दर रचना , बधाई प्रेषित

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service