For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कौन पी गया जल मेघों का …..

कौन पी गया जल मेघों का …..

कौन पी गया जल मेघों का …..
और किसने नीर बहाये //
क्योँ बसंत में आखिर …
पुष्प बगिया के मुरझाये //
प्रेम ऋतु में नयन देहरी पर …
क्योँ अश्रु कण मुस्काये //
विरह का वो निर्मम क्षण ….
धड़कन से बतियाये //
वायु वेग से वातायन के ….
पट क्योँ शोर मचाये //
छलिया छवि उस निर्मोही की …
तम के घूंघट से मुस्काये //
वो छुअन एकान्त की ….
देह विस्मृत न कर पाये //
तृषातुर अधरों से विरह की ….
तपिश सही न जाए //
नयन घटों पर व्याकुल तृप्ति …
दूर खड़ी सकुचाये //
गौर कपोल पे कुंतल-लट का …
नेह ये शोर मचाये //
पी वियोग में अंजन रेखा …..
संग अंसुअन के बही जाए //

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 619

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on February 19, 2015 at 7:07pm

आदरणीय हरी प्रकाश दूबे  जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 19, 2015 at 7:06pm

आदरणीय मोहन सेठी जी रचना पर आपकी स्नेहिल उपस्थिति   का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 19, 2015 at 7:05pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर  जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 19, 2015 at 7:02pm

आदरणीय सोमेंश कुमार  जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 19, 2015 at 7:01pm

आदरणीय डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव जी रचना पर आपकी स्नेहाशीष का हार्दिक आभार। 

Comment by सर्वेश कुमार मिश्र on February 19, 2015 at 6:34pm

कौन पी गया जल मेघों का...वाह वाह! रचना के लिए बधाई स्वीकारें 

Comment by Pari M Shlok on February 19, 2015 at 12:14pm
मन को छू गयी आपकी रचना ... शब्दों का सुन्दर प्रभावी जोड़ ..बधाई
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 19, 2015 at 11:22am

आदरणीय भाई सरना जी,  सुंदर शब्द व् भाव से सजी हुई प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई l


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 19, 2015 at 10:39am

आदरणीय सुशील भाई , बहुत सुन्द रचना हुई है , शब्द संयोजन भी खूब भाया !! दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ॥

Comment by khursheed khairadi on February 19, 2015 at 10:29am

आदरणीय सुशील सरना जी ,सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें |

वायु वेग से वातायन के ….
पट क्योँ शोर मचाये //
छलिया छवि उस निर्मोही की …
तम के घूंघट से मुस्काये //

सादर अभिनन्दन |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service