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बादल जब बेज़ार किसी से क्या कहना |
फिर कैसी बौछार किसी से क्या कहना |
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ख़ामोशी, सन्नाटें किस की सुनते है |
बातें है बेकार किसी से क्या कहना |
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बूढ़े पेड़ों पर आखिर क्या गुजरी है |
पढ़ लो बस अखबार किसी से क्या कहना |
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रोते है वाइज़, रोने दो रस्मों को |
कर लो बस यलगार किसी से क्या कहना |
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अपनी छतरी लेकर निकलों राहों में |
बारिश के आसार किसी से क्या कहना |
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जैसे तैसे हम तो खुद को ढो लेंगे |
काँधें जो नाज़ार किसी से क्या कहना |
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दूरी में अब कुर्बत कैसे आएगी |
रिश्तें है बेतार किसी से क्या कहना |
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आदत अपनी जाते - जाते जाएगी |
वो भी है लाचार किसी से क्या कहना |
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महफ़िल में तनहां थे पर खामोश रहे |
कब थे हम दरकार किसी से क्या कहना |
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साहिल से ‘मिथिलेश’ न देखों लहरों को |
जीवन है मझधार किसी से क्या कहना |
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Comment
bade bhai ......kamal ho gaya ....sadhi , sateek .bebak , pravahyukta rachna , ik ik sher jaise gadha gaya ho .............one of the best of yours ......
कमाल ...कमाल ...की ग़ज़ल गाकर देखने में मजा आ गया
वैसे तो सभी शेर उम्दा हैं कोई कमतर नहीं किनती इनके लिए तो विशेष दाद लीजिये
जैसे तैसे हम तो खुद को ढो लेंगे |
काँधें जो नाज़ार किसी से क्या कहना |
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दूरी में अब कुर्बत कैसे आएगी |
रिश्तें है बेतार किसी से क्या कहना |
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आदत अपनी जाते - जाते जाएगी |
वो भी है लाचार किसी से क्या कहना |
आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी रचना पर सराहना, स्नेह और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, हार्दिक धन्यवाद
वाइज़ का प्रयोग मैंने धर्मोपदेशक के अर्थ में किया है. कोई त्रुटी हो तो कृपया मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु निवेदन है. सादर
आदरणीय सोमेश भाई जी आपकी सराहना से मन खुश हुआ और रचना की सार्थकता का संतोष भी. हार्दिक आभार
आदरणीय खुर्शीद सर, ग़ज़ल पर आपका स्नेह और सराहना पाकर अभिभूत हूँ. आप जैसे ग़ज़लगो, जिनकी ग़ज़लों का नाचीज़ दीवाना है उसे दाद मिल जाए तो बस फिर क्या चाहिए.... जर्रानवाजी के लिए शुक्रिया...
आदरणीय Shyam Narain Verma जी रचना पर सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए आभार. हार्दिक धन्यवाद
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर, रचना पर सराहना, स्नेह और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, नमन
मज़ा आ गया |बेहद लयबद्ध और सुंदर अल्फाजों से लबरेज गज़ल |
बेहद उम्दा गजल कही है आदरणीय मिथिलेश जी. सुंदर मतला और सादगीपूर्ण अशआर पर दिली दाद कुबूल कीजियेगा
तीसरे शेर में 'वाइज' शब्द के अर्थ की प्रतीक्षा रहेगी.. सादर!
ख़ामोशी, सन्नाटें किस की सुनते है |
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बातें है बेकार किसी से क्या कहना |
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बूढ़े पेड़ों पर आखिर क्या गुजरी है |
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पढ़ लो बस अखबार किसी से क्या कहना
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