For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" जवान बच्चे " (लघुकथा)

"कम्मो।जरा इधर तो आ, तूने अचानक काम पर आना कयों बंद कर दिया?" मिसेज माधवी ने बालकनी की खिड़की से ही गली में गुजरती अपनी काम वाली बाई को आवाज लगाई।

"जी मेम साहब। वो क्या है कि अब हम आप के यिहाँ काम नही करेगें।" कम्मो भी गली से ही लगभग चिल्लाती हुयी बोली।

"क्यों कहीं और ज्यादा पैसे मिलने लगे या पैसो की जरूरत नही रही।" मिसेज माधवी की आवाज में कटाक्ष था।

"नही मेमसाहब, बस ऐसे ही...... बच्चे जवान हो गये ना।"
"तेरे बच्चे ?"

"नही नही मेमसाहब ! मेरे नहीं, आपके बच्चे जवान हो गये है।"
मिसेज माधवी की खिड़की खटाक से बंद हो चुकी थी।


 "मौलिक व अप्रकाशित"
'वीर मेहता'

Views: 909

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on February 5, 2015 at 10:16pm
इतने सुन्दर शब्दो में प्रतिक्रिया करने के लिये तहे दिल से आप का आभार, आदरणीय राजकुमारीजी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 5, 2015 at 6:37pm

आज आपकी इस लघु कथा को पढ़कर अपनी लिखी एक कुण्डलिया याद आ गई  भाव वही हैं बस पात्र अलग हैं --

तिनका लेकर चौंच में ,चिड़िया तू कित जाय| 

नीड़ महल का छोड़ के , घर किस देश बसाय|| 

घर किस देश बसाय ,सभी सुख साधन छोड़े|

ऊँची चढ़ती बेल , धरा पे वापस मोड़े ||

देख बिगड़ते बाल, माथ मेरा है ठनका |

जाती अपने गाँव , चौंच में लेकर तिनका|| 
आपकी अंतिम पंक्ति का पञ्च ही इस लघु कथा को सार्थक बनाता है ,दिल से आपको बहुत- बहुत बधाई इस उत्कृष्ट लघु कथा के लिए 

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on February 5, 2015 at 5:58pm

Aadharniya Mitilesh Vaamankarji katha ko 'like' karne ke liye aurek bahut hi saarthak aur sahi vichaar rakhne ke liye aap ka tahe dil se shukriya.

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on February 5, 2015 at 5:56pm

Dil se aabhaar aap sabhi sudhijano ka....katha ko 'like' karne ke liye aur hausalaa baddane ke liye.....@ Vinaya kumar singhji...Dr. Vijay Shankerji....Somesh Kumarji....Lakshman Ramanuj Laddiwalaji....Anurag Goelji...Mohan Begovaalji...and Hari Parkash Dubeyji...

Comment by Hari Prakash Dubey on February 5, 2015 at 3:18pm

आदरणीय वीरेंद्र वीर मेहता जी  इस लाइन ने तो मन ही झकझोर  दिया ...."नही नही मेमसाहब ! मेरे नहीं, आपके बच्चे जवान हो गये है।"....बहुत बढ़िया ,  सुन्दर रचना , बधाई आपको !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 5, 2015 at 10:08am

एक श्रेष्ठ लघु कथा | "आपके बच्चे जवान हो गये है।" इस पंक्ति ने अनकही बात कह दी | कोई कितना ही छोटा हो, संस्कारी अपना जमीर भी बेचते |एक अच्छी कघु कथा के लिए हार्दिक बधाई श्री वीरेंद्र वीर मेहता जी  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2015 at 9:26pm

बहुत अच्छी लघुकथा. आदरणीय वीरेंदर वीर मेहता जी लघुकथा की पंच लाइन अपना पूरा प्रभाव दिखाती है और प्लाट का मूल भाव झटके से उभर कर आता है. इस लिहाज से एक सफल लघुकथा है. लघुकथा की पंच लाइन अगर 440 वोल्ट का झटका दे जाए और दिमाग झन्ना जाए समझो लघुकथा सफल. ये मेरा व्यक्तिगत मानना है.  

Comment by somesh kumar on February 4, 2015 at 8:08pm

sunder vyngy

Comment by विनय कुमार on February 4, 2015 at 7:03pm

बहुत सुन्दर लघुकथा , ये भी एक पहलु है जिस पर ध्यान नहीं जाता है | बधाई आपको ..

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 4, 2015 at 6:50pm
अच्छा व्यंग करती है यह लघु - कथा , बधाई आदरणीय वीरेंदर वीर मेहता जी, सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service