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चाय का घूंट लेते हुए उनकी नज़र अखबार की एक खबर पर चली गयी. इलाके में एक लड़की की इज़्ज़त लुटी, आरोपी फरार"|
मन ही मन में राहत की सांस लेते हुए उन्होंने बगल में बैठी पत्नी से कहा " अच्छा हुआ , हमारी लड़की नहीं हुई वर्ना हमें भी डर के रहना पड़ता "|
पत्नी ने एक गहरी सांस ली और पिछले दिन का अखबार निकाला , पहले पन्ने पर छपी हुई तस्वीर जिसमें लड़कियां गणतंत्र दिवस के परेड की अगुआई कर रहीं थीं , उनके सामने रख दिया | चाय उनके हाँथ में ठंडी हो रही थी , वो पत्नी से नज़र नहीं मिला पा रहे थे |

 मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment

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Comment by विनय कुमार on February 3, 2015 at 8:32pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 3, 2015 at 8:08pm

बहुत बढ़िया लघुकथा, आदरणीय विनय जी. बहुत-२ बधाई

Comment by विनय कुमार on February 3, 2015 at 6:37pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 3, 2015 at 6:34pm

 लघुकथा बहुत अच्छी लगी , आदरणीय बधाई आपको ।

Comment by विनय कुमार on February 2, 2015 at 8:15pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 2, 2015 at 8:14pm

आदरणीय विनय कुमार जी, सफल लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by विनय कुमार on February 2, 2015 at 8:13pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी..

Comment by विनय कुमार on February 2, 2015 at 8:12pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी..

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 2, 2015 at 7:39pm
बहुत सुन्दर प्रस्तुति, आदरणीय विनय जी, नजरिया सही हो तो बहुत कुछ बदल जाता है। बधाई, सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on February 2, 2015 at 7:32pm

आदरणीय विनय कुमार जी, सफल लघुकथा , हार्दिक बधाई !

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