For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"आप का नाम क्या है ?" बगल में आई नयी पड़ोसन ने पूछा |
वो सोच में पड़ गयी , क्या बताये | शादी के बाद जब से इस घर में आई है तब से तो किसी ने उसके नाम से नहीं पुकारा | शुरू में बहू , फिर मुन्ने की माँ और अब मिसेस शर्मा , यही सुनती आई है वो | शायद तीस साल बहुत होते हैं किसी को खुद का वजूद भूलने के लिए | वो अपना वजूद ढूँढ रही थी , पड़ोसन चली गयी थी |

.

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 765

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on February 3, 2015 at 12:08pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय शरदिंदु मुखेर्जी जी ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on February 3, 2015 at 1:22am
बहुत ही प्रासंगिक और संवेदनशील है इस रचना का विषयवस्तु. आपकी उन्नत सोच के लिए आप नि:संदेह प्रशंसा के पात्र हैं आदरणीय विनय जी.
Comment by विनय कुमार on February 2, 2015 at 4:28pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय योगराज प्रभाकर जी | आपकी विस्तृत टिप्पणी पाकर मन प्रसन्न हुआ | आपकी राय बिलकुल सही है ..


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on February 2, 2015 at 2:53pm

निज पहचान को खोती हुई मध्यवर्गीय गृहणी की व्यथा को सुन्दर शब्दों में पिरोया है भाई विनय सिंह जी। लघुकथा सुन्दर हुई है, किन्तु इसका अंत  कहीं बेहतर हो सकता था। मुझे हमसूस हो रहा है कि कहानी के अंत में श्रीमती शर्मा का खामोश रहना और बिना कुछ कहे-सुने पड़ोसन का वापिस लौट जाना, ज़रूर कमी की तरफ इशारा नहीं कर रहा है। क्या यहाँ "वजूद गुम हो जाने" के दर्द को थोड़ा और विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए था ? मसलन, श्रीमती शर्मा को ऊहापोह में पड़े देखते हुए यदि नई पड़ोसन ये कह दे कि "ठीक है, मैं आज से आपको "ऑन्टी" बुलाऊँगी !" और इसके बाद वो अपना खोया वजूद ढूंढे तो कैसा रहे ? ज़रा सोच कर देखें।

Comment by विनय कुमार on February 1, 2015 at 7:16pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय सोमेश कुमार जी..

Comment by somesh kumar on February 1, 2015 at 3:06pm

nari jivan ka sunder ytharth

Comment by विनय कुमार on February 1, 2015 at 11:55am

बहुत बहुत आभार आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी.. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 1, 2015 at 9:20am

आदरणीय विनय जी आपने एक अनछुये पहलू को उभारा है, बधाई इस लघुकथा के लिये

Comment by विनय कुमार on January 31, 2015 at 5:06pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्याम मठपाल जी..

Comment by Shyam Mathpal on January 31, 2015 at 3:18pm

Aadarniya vinay ji,

Badhai Ho. Apna ghar dhunte huwe apna wajud bhool gaye

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
12 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service