For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल--ज़हर आकर पिला दे तू

मुहब्बत को निभा दे तू
ज़हर आकर पिला दे तू
....
नज़र से उठ नहीं पाऊँ
मुझे ऐसा गिरा दे तू
....
व़फायें जानता हूँ मैं
नया कुछ तो सिख़ा दे तू
....
मुझे मँझाधार मैं लाकर
मेरी कश्ती हिला दे तू
....
कभी सोचा न हो मैंने
मुझे ऐसा सिला दे तू
....
क़यी मुद्दत से तन्हा हूँ
मुझे मुझसे मिला दे तू
..
..
उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 686

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 27, 2015 at 8:06pm

सुन्दर गज़ल के लिये बधाइयाँ , आदरणीय ।

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 27, 2015 at 7:55pm
लाजवाब गजल कही है आदरणीय!
Comment by Hari Prakash Dubey on January 27, 2015 at 7:01pm

इस सुन्दर रचना पर बधाई ,आदरणीय उमेश कटारा जी, सादर ।

Comment by umesh katara on January 27, 2015 at 1:55pm

Shyam Narain Verma ji बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by umesh katara on January 27, 2015 at 1:54pm
Comment by Shyam Narain Verma on January 27, 2015 at 1:10pm
वाह ! बहुत खूब | सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 27, 2015 at 11:31am
कई मुद्दत से तन्हा हूँ
मुझे मुझसे मिला दे तू ॥
बहुत खूब , बहुत सुन्दर, बहुत बहुत बधाई ,आदरणीय उमेश कटारा जी, सादर ।
Comment by umesh katara on January 27, 2015 at 10:58am

 बहुत बहुत शुक्रिया khursheed khairadi ji

Comment by khursheed khairadi on January 27, 2015 at 10:42am

मुझे मँझाधार मैं लाकर
मेरी कश्ती हिला दे तू

आदरणीय उमेश जी उम्दा ग़ज़ल हुई है |सभी अशहार लासानी है |वाह.. वाह... 

सादर अभिनन्दन 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service