किरणें चित्र उकेरें अँगना, है प्रीत तेरी हमें बांधन निकली
धरती का मैं लहंगा सिला लूँ, हरियाली की पहनूं चोली
अम्बर की बन जाए ओढ़नी, देखूं फिर नववर्ष रंगोली
तारों की मैं माला गूंथुं, चाँद बने बिंदिया की रोली
बने चांदनी मेरी मेहँदी, सज जाए मेरी भी हथेली
नेह झड़ी की आस लगाए, सुलगी जाए मरी दूब हठीली
सूरज को मैं बांधू राखी, फिर घोलूं किरणों की शोखी
बन जाए मेरा भाई सूरज, सज जाए मेरी भी डोली.....
केसर रंग में मांग सजाऊं, देख घटा की अलक श्यामली
प्रेम रंग अनमोल पिया का, पहनूं चूड़ी लाल हरी और पीली
शीतल मंद पवन सी डोले, नीले अम्बर की वो भूरी बदली
आँगन के तुलसी का बिरवा, झूम झूम के करे ठिठोली
मन वीणा ने तार बजाए, जब प्रेमप्रीत मेरी बनी सहेली
भोर किरण ने चूम के पलकें, सौगातों से भरी पोटली
बन जाए मेरा भाई सूरज, सज जाए मेरी भी डोली.....
तू दीपक मैं बाती प्रियतम, बाँध पिटारी मैं तेरी हो ली
मैं नदिया तू सागर प्रियतम, दो नयनों से मैंने पी ली
आतुर सी कोई श्यामल बदरी, यूं ही मुझको लगे है भोली
रोप दिए है बिरवे दिल के, हमने देख के सौंधी माटी गीली
धुप गुनगुनी गाये बन्दन, प्रेम सुधा रस भर गई झोली
फिर क्या डरना अंधे जग से, जब ये जोगन तेरी हो ली
बन जाए मेरा भाई सूरज, सज जाए मेरी भी डोली...
मौलिक एवं अप्रकाशित ....
सुनीता दोहरे
Comment
लक्ष्मण रामानुज लडीवाला आदरणीय, बहुत बहुत धन्यवाद ! सादर नमन !!
तू दीपक मैं बाती प्रियतम, बाँध पिटारी मैं तेरी हो ली
मैं नदिया तू सागर प्रियतम, दो नयनों से मैंने पी ली
आतुर सी कोई श्यामल बदरी, यूं ही मुझको लगे है भोली
रोप दिए है बिरवे दिल के, हमने देख के सौंधी माटी गीली - देख के हमने सौंधी माटी गीली
धुप गुनगुनी गाये बन्दन, प्रेम सुधा रस भर गई झोली
फिर क्या डरना अंधे जग से, जब ये जोगन तेरी हो ली - वाह लाजवाब अभिलाषाएं, बेहतरीन रचना
बन जाए मेरा भाई सूरज, सज जाए मेरी भी डोली... बहुत सुंदर भाव रचित कामनाएं की है रचना के माध्यम से - हार्दिक बधाई
डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव आदरणीय, मेरी पोस्ट पर आपका आना मेरे लिए सौभाग्य की बात है ! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ! सादर नमस्कार !!
खूबसूरत सपनो और कामनाओ से सजी इस कविता के लिए साधुवाद i सादर i
जितेन्द्र पस्टारिया आदरणीय , बहुत बहुत धन्यवाद ! सादर नमस्कार !!
रचना में बेहद सुंदर भाव, उभर कर आयें है आदरणीया सुनीता जी. प्रस्तुति पर बधाई आपको
मिथिलेश वामनकर आदरणीय , बहुत बहुत धन्यवाद ! सादर नमन !!
सुन्दर प्रस्तुति, बधाई
Hari Prakash Dubey आदरणीय , बहुत बहुत धन्यवाद ! सादर नमन !!
Shyam Mathpal जी , बहुत बहुत धन्यवाद ! सादर नमन !!""
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