प्रिय अभी
मै न चाहते हुए भी आज उन स्थानों पर कभी-कभी पहुँच जाता हूँ,जहां कभी अपने प्रेम के बहारो के फूल खिले थे , ना जाने कितने आरजुओ ने जन्म लिए थे जब कभी मै उन जगहों पर जाता हूँ तो हमेशा मेरी नज़र उन जगहों को देखती है जहां हम साथ चले थे , मेरे होठो पर तुम्हारा नाम बरबस ही आ जता है,मेरी नज़रे शायद तुम्हारे पद चिन्हों को ठुंठती है ! पर उसे असफलता ही हाँथ लगाती है, तब मुझे यह एहसास होता है की एक गरीब आदमी कितना असमर्थ होता है ! और एक आमिर आदमी कितना खुदकिस्मत वाला होता है ! क्या आप मुझसे सचमच प्यार किये थे ,आप के दूर होने के कारण को जब मैंने समझा तो मुझे यैसा लगा मानो युगों का साथ अब पलों में छुट रहा है, "अभी, प्रेम जब मानव के शरीर में दस्तक देता है ! तो उसके दिल में दबी हुई धड़कने अपना असर दिखाने लगाती है ! अपने प्रीतम के दीदार को आँखे बेचैन होने लगाती है,क्या आपको एह सब महसूस नहीं हुवा,
तुम्हें पता नहीं की तुम्हारी मीठी याद मुझे बेचैनी की गहरे भंवर में डूबा ले जा रही है,क्या मै इस प्रेम भंवर से निकल पाऊँगा,मै तो प्रेम में निर्जीव एक सादा इंसान था,मुझे प्रेम जीवन देनेवाली आप थी क्या आप को इसकी भी सुध नहीं की आप मुझे कहाँ लाकर छोड़ रहे हो,मैंने आप को टूट कर चाहा,क्या मैंने कोई गलती की "अभी, "अभी,मैंने मेरे प्यार को अपने दिल के रक्त से सीचा था ! मेरे ह्रदय का रक्त इतना फीका था,की वक्त ने अपना असर दिखा दिया ! लोग कहते है "अभी" जहां प्यार होता है वही सुख़ ,और जहां प्रेम नहीं वहां जीवन कैसा ,सुख़-दुःख,अमीरी-गरीबी,बेबसी ऐ सब प्यार के समक्ष बहुत कमजोर होते है,ऐ मैंने ,नहीं अपितु आप का ही कहा शब्द था आप ही ने कहा था की अगर हमें हमारा प्यार नहीं मिला तो हम सारे रिस्तो को ठोकर मार दूंगी,फिर आप सारे रिश्ते अपनाकर मुझे ही ठोकर क्यूँ मारा क्या तुम्हारे दिए गए शब्द,किये गए वादे सब मतलबी और झूठे थे ! ........................
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तपन जी ,
बहुत धन्यवाद,पर क्या करे बारह वर्षो का अपना साथ था,
मैंने उन्हें खुली नहीं बंद आँखों में बसाया था,
जो रूठी है जो किस्मत आज जो उन्हें तक़दीर बनाया था..............
मे उसका हू ये राज तो वो जान गई है "फ़राज़"
वो किस्की हे ये सवाल मुझे सोने नही देता
sanjay ji-
खुली आँखो को चार मत करना
तुम सितारे शुमार मत करना
दोस्तो वाहा अंधेरा है बहुत
मशव्ररा है की प्यार मत करना
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