वक़्त के थपेड़ो में.... खर्च आशिकी अपनी
आज फिर मुहब्बत ने हार मान ली अपनी
लफ्ज़ भी किसी के थे, दर्द भी किसी का था
गैर की ग़ज़ल थी तू... सिर्फ सोच थी अपनी
भूख की गुजारिश में रात भर बिता कर के
बेच दी चराग़ों ने........ आज रौशनी अपनी
आजकल कहीं अपना जिक्र भी नहीं मिलता
वक़्त था कभी अपना, बात थी कभी अपनी
आशना तसव्वुर में........ कुर्बते मयस्सर है
फिर किसी परीवश से जान जा लगी अपनी
आसमान की यारो छत मिली हमें लेकिन
चाँद भी नहीं अपना, चाँदनी नहीं अपनी
दौलते जहां भर की आपको मुबारिक़ हो
मस्त है फ़कीरी में आज जिंदगी अपनी
खूब हम समंदर से....... दुश्मनी निभाते थे
आज क्या रहे हम तो, आज क्या रही अपनी
वक़्त का परिन्दा फिर आसमां उठा लाया
हाय बेबसी अपनी..... और बेक़सी अपनी
-----------------------------------------------------
(मौलिक व अप्रकाशित) © मिथिलेश वामनकर
-----------------------------------------------------
बह्र-ए-हज़ज मुसम्मन अशतर:
अर्कान – फ़ाइलुन / मुफ़ाईलुन / फ़ाइलुन / मुफ़ाईलुन
वज़्न – 212 / 1222 / 212 / 1222
Comment
आदरणीय राम शिरोमणि जी इस प्रयास की सराहना के लिए बहुत बहुत आभार ... हार्दिक धन्यवाद
आदरणीय मिथिलेश भाई , गज़ल बहुत सुन्दर हुई है , सभी अशआर लाजवाब हैं , दिलीबधाइयाँ स्वीकार करें । आज क्या रहे हम तो, आज क्या रही अपनी - इस मिसरे में तो की कितनी ज़रूरत है सोचियेगा ।
दुरूस्त है
आदरणीय शिज्जु भाई जी सही कहा ....कर के .... एक साथ गलत है ...... इसे यूं करने की सोच रहा हूँ
//भूख की गुजारिश में रात भर बिता के फिर // ....सादर
सराहना के लिए आभार ... हार्दिक धन्यवाद
वाह आदरणीय मिथिलेश भाई एक के बाद एक मोती जड़ दिये आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़़ल हुई है हर शेर के लिये आपको तहेदिल से दाद देता हूँ
//भूख की गुजारिश में रात भर बिता कर के//
उम्मीद है मेरी बात आप समझ गये होंगे
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online