For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम याद तुम्ही को करते थे

हम याद तुम्ही को करते थे,
छुप छुप के आहें भरते थे,
मदहोश हुआ जब देख लिया
सपनों में अब तक मरते थे.

रूमानी चेहरा, सुर्ख अधर,
शरमाई आँखे, झुकी नजर,
पल भर में हुए सचेत मगर,
संकोच सदा हम करते थे.

कलियाँ खिलकर अब फूल हुई,
अब कहो कि मुझसे भूल हुई,
कंटिया चुभकर अब शूल हुई,
हम इसी लिए तो डरते थे.

अब होंगे हम ना कभी जुदा,
बंधन बाँधा है स्वयं खुदा,
हम रहें प्रफुल्लित युग्म सदा,
नित आश इसी की करते थे.

(मौलिक व अप्रकाशित )
- जवाहर लाल सिंह

Views: 836

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 31, 2014 at 7:16pm

उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय योगराज प्रभाकर जी!


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 10, 2014 at 11:19am

याद को बहुत शिद्दत से उभारा है आ० जवाहरलाल सिंह जी, बधाई स्वीकारें।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 5, 2014 at 7:07pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री विजय निकोर साहब!

Comment by vijay nikore on December 4, 2014 at 4:25pm

अति सुन्दर रचना। हार्दिक बधाई।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 3, 2014 at 7:12pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री भंडारी साहब!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 3, 2014 at 4:05pm

बहुत  सुन्दर  प्रेम गीत की रचना की है आदरणीय जवाहर भाई , हार्दिक बधाई ।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 3, 2014 at 12:49pm

हार्दिक आभार आदरणीय श्री नीरज कुमार नीर जी!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 3, 2014 at 12:48pm

हार्दिक आभार आदरणीय श्री राम शिरोमणि पाठक जी!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 3, 2014 at 12:47pm

हार्दिक आभार आदरणीय श्री हरी प्रकाश दुबे जी 

Comment by Neeraj Neer on December 2, 2014 at 5:58pm

सुंदर प्रस्तुति ॥ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मैं यह समझ नहीं पा रहा हूँ कि आपको यह कहने की आवश्यकता क् पड़ी कि ''इस मंच पर मौजूद सभी…"
5 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी सादर अभिवादन बेहतरीन ग़ज़ल हुई है वाह्ह्हह्ह्ह्ह! शैर दर शैर दाद हाज़िर है मतला…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर अभिवादन उम्द: ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई शैर दर शैर स्वीकार करें!…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन!आपका बहुत- बहुत धन्यवाद आपने वक़्त…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर नमस्कार आपका बहुत धन्यवाद आपने समय दिया ग़ज़ल तक आए और मेरा हौसला…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी, सादर आभार।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service