For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परिचय हुआ जब दर्पण से

परिचय  हुआ  जब  दर्पण से ….

परिचय  हुआ  जब  दर्पण  से
तो  चंचल  दृग  शरमाने  लगे
अधरों  में   कंपन  होने  लगी
अंगड़ाई के मौसम .छाने लगे
परिचय  हुआ  जब  दर्पण से ….

ऊषा   की   लाली  गालों   पर
प्रणयकाल    दर्शाने      लगी
पलकों को  अंजन  भाने लगा
भ्रमर   आसक्ति  दर्शाने  लगे
परिचय  हुआ  जब  दर्पण से …

पलकों के  पनघट  पर   अक्सर
कुछ  स्वप्न  अंजाने  आने लगे
बेमतलब    नभ   के   तारों  से
फिर मन ही मन बतियाने  लगे
परिचय   हुआ  जब   दर्पण   से …

आवारा सी इक   कुंतल  लट
कलोल कपोल पे  करने लगी
झोंके समीर के   आँचल  को
लाज़ का अर्थ  समझाने लगे
परिचय  हुआ  जब  दर्पण से
तो  चंचल  दृग शरमाने लगे …

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 459

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on November 12, 2014 at 6:58pm

आदरणीय   योगराज प्रभाकर जी रचना पर आपकी आत्मीय मधुर प्रशंसा  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on November 12, 2014 at 6:57pm

आदरणीय  Shyam Narain Verma  जी रचना पर आपकी मधुर प्रशंसा  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on November 12, 2014 at 6:56pm

आदरणीय somesh kumar जी रचना पर आपकी स्नेहिल अभिव्यक्ति का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on November 12, 2014 at 6:56pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार। 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 12, 2014 at 11:32am

//आवारा सी इक   कुंतल  लट
कलोल कपोल पे  करने लगी
झोंके समीर के   आँचल  को
लाज़ का अर्थ  समझाने लगे//
दर्पण से यूँ परिचय होना अच्छा लगा आ० सुशील सरना जी।

Comment by Shyam Narain Verma on November 12, 2014 at 10:30am

" सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिये आपको बधाइयाँ .................. "

Comment by somesh kumar on November 11, 2014 at 10:15pm

आप की ये रचना किशोर-अवस्था के शुरुवाती पलों की याद दिलाती है ,सुंदर भावों और कोमल शब्दों के माध्यम से इस रचना को प्राणवान करने के लिए साधुवाद |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 11, 2014 at 8:30pm

आवारा सी इक   कुंतल  लट
कलोल कपोल पे  करने लगी
झोंके समीर के   आँचल  को
लाज़ का अर्थ  समझाने लगे----------अति सुन्दर i  बढिया शृंगार  i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
5 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
17 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
17 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
23 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service