For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलिया छंद - लक्ष्मण रामानुज

अविनाशी प्रभु अंश ही, कृष्ण रहे बतलाय

मोह रहे न कर्म सधे, कर्म सधे फल पाय

कर्म सधे फल पाय, राह चलकर पथ पाते

हर पल चाहे लाभ, निभे क्या रिश्ते नाते

लक्ष्मण कहते संत, रहे मानव मितभाषी

आत्मा छोड़े देह, जो है अमर अविनाशी |

 

गंगा मात्र नदी नहीं, समझे इसका सार

गंगा माँ को मानते जीवन का आधार |

जीवन का आधार, इसी से भाग्य जगा है

कूड़ा कचरा डाल, मनुज ने किया दगा है

कह लक्ष्मण कविराय, रहोगे तन से चंगा

धोते सारे पाप,  रखे क्यों मैली गंगा ||

 

गंगा तट को साफ़ करे, भली करेंगे नाथ,

स्वच्छ धरा सुंदर लगे, खुशबू बिखरे पाथ

खुशबू बिखरे पाथ, सुगम तब राहे बनती

लक्ष्मी का आवास, धान्य से घर को भरती

लक्ष्मण रहना स्वच्छ, तभी तन रहता चंगा

दुराचार यह कर्म,  करे जो  मैली  गंगा ||

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

Views: 627

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 12, 2014 at 11:07am

कुण्डलिया छंद पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री गिरिराज भंडारी जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 11, 2014 at 10:22am

सुंदर प्रतिक्रिया कर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका सादर हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमार जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 11, 2014 at 10:20am

कुण्डलिया छंद का ज्ञान ओबीओ को विद्वजनों की देन है, उन्हें नमन करते हुए, आपका हार्दिक आभार श्री विजय निकोरे जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 11, 2014 at 10:18am

आपकी स्सुंदर प्रतिक्रिया से सुकून मिला, आपका हार्दिक आभार श्री खुर्शीद खैराडी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 11, 2014 at 9:14am

आदरणीय लक्ष्मण भाई , तीनो कुंडलिया बहुत सुन्दर लगी , सन्देश प्रद ! बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 10, 2014 at 9:04pm

तीनो ही कुण्डलियाँ सुन्दर सन्देश प्रेषित कर रही हैं बहुत बढ़िया बहुत- बहुत बधाई आ० लक्ष्मण जी. 

Comment by vijay nikore on November 10, 2014 at 4:34pm

कुण्डलिया छंद में आप माहिर हैं। हार्दिक बधाई, आ० लक्ष्मण जी।

Comment by khursheed khairadi on November 10, 2014 at 2:29pm

आदरणीय लडीवाला जी ,बहुत सुन्दर और समसामयिक रचना हुई है |सादर अभिनन्दन 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 10, 2014 at 12:01pm

आपकी सराहना पाकर मेरा लेखन धन्य हुआ, आपका हृदयतल से आभार आदरणीय श्री योग राज भाई जी |

सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 10, 2014 at 11:59am

छंद पसंद करने के लिए शुक्रिया श्री राम शिरोमणि पाठक जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
12 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service