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वो पल **

वाहनों से भरी सडक पर एक बाबा पैदल चले जा रहा था .. उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था की वो थक गया है और सहायता  चाहता है , थके होने की वजह से वो बार बार मुड के पीछे देख रहा था ! 

आगे का रास्ता किसी वाहन पर करने की उम्मीद लिए जिसको भी हाथ देता वो उसको अनदेखा कर आगे निकल जाता ..मायूसी चेहरे पर थी पर  बिना रुके चल भी रहा था ...

इस आपा धापी की जिंदगी में सबको जल्दी है पर कुछ दूर अगर छोड़ा जाता तो कुछ जाता नहीं उल्टा हमें जो आशीर्वाद मिलता वो जरूर फलता....जो शायद मेरे भाग्य में था ...

वो पल शायद मेरे लिए था ...

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

** आलोक **

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Comment by Shubhranshu Pandey on October 28, 2014 at 12:01pm

अपने हिस्से की दुआ.

सुन्दर प्रयास.

सादर.

Comment by Alok Mittal on October 16, 2014 at 12:03pm

 आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी.....बहुत सुंदर सर ....

मेरा हौसला बढाने के लिए आपका दिल से आभार ...मेरा मार्ग दर्शन करते रहिये ..हम भी पूरी कोशिश करेंगे आप सब की कसोटी पर खरे उतने के लिए ...

सराहना के लिए आपका पुन: आभार 

Comment by Alok Mittal on October 16, 2014 at 12:01pm

आदरणीय  Somesh kumar जी ....बहुत बहुत आभार आपका आपने मेरा हौसला बढ़ाया है ..प्रयास निरंतर करता रहूँगा ..इसी तरह मेरा मार्ग दर्शन करते रहिये ,,,,शुक्रिया आपका 

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 16, 2014 at 12:56am
आदरणीय आलोक मित्तल जी , आपका प्रयास सराहनीय है ,बस लिखते रहिये , परिपक्वता भी आ जायेगी , फिलहाल आपसे प्रेरित होकर मैं कुछ लिख रहा हूँ ,

आप किसी रास्ते पे मुंह पे रुमाल रख लीजिये ,
लोग भी रुमाल या हाथ रख लेगें निकल जायेगें ।
आप बस किसी ओर देखने लगिए , देखते रहिये ,
आते जाते लोग , उस ओर तकते हुए जायेगें ।
आप व्यवस्था को ज़रा सा बस कुछ भी बोल दीजिये
संवेदनशील हैं ये लोग , हाँ में हाँ मिलायेगें ।
एक कमजोर लाचार की मदद को हाथ बढाइये
कुछ बगल से , कुछ आपको धकिया के निकल जायेगें ॥
आपकी रचना के लिए बधाई , सराहना भी।
Comment by somesh kumar on October 15, 2014 at 11:05pm

दुआएं कभी बक्शीश में नहीं मिलती ,उस तरह के कर्तव्य करने से ही ये पुण्य मिलता है |

अच्छा प्रयास 

Comment by Alok Mittal on October 15, 2014 at 1:39pm

Er. Ganesh जी ....हा संस्मरण है जो वास्तविकता में हुआ है मेरे साथ ...सन्देश सिर्फ ये है की अगर किसी की मदद की जा सकती है तो किया जाना चाहिए .....

आपका दिल से आभार आपने अपना कुछ समय दिया ...अभी मैंने अपनी  लिखना शुरू किया है हो सकता है आप जैसा नहीं लिख पा रहा हूँ ..कृपया आप मेरा मार्ग दर्शन करें !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 15, 2014 at 1:16pm

यह क्या है आलोक जी ? कहानी या संस्मरण, यदि संस्मरण ही है तो क्या सन्देश देना चाहते हैं ?

कृपया ध्यान दे...

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