For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आओ, एक पुल बनाएं

पुल .....
अर्थात ...मिलन
दो गांवों का /दो देशों का
और
नदियों को लांघने का एक संरचना ॥

रिश्तों का पुल बनता है
जब दो परिवार
शादी के बंधन में बंधते है ।

कुछ दिनों पहले पढ़ा था
एक तलाक शुदा दंपत्ति के
१२ वर्षीय पुत्र ने
माता -पिता के दिलो को जोड़ा
पुल बनकर ॥


प्रजातंत्र में भी
पुल बनाया जाता है
नेताओ और वोटरों के बीच
भाषणों का / आश्वासनों का
जो तुरंत ही ढह जाता है ॥

दरअसल .....
पुरे समाज की बुनियाद
पुल पर ही टिकी है ॥

आइए......
हम सब मिलकर एक पुल बनाएं
कंक्रीट पुल के इतर (उलट )
विस्वास की सीमेंट
मित्रता की ईट
संवेदना के गारे
और सहिस्नुता की बांस - बल्लियों से ....

मगर याद रखना, मेरे दोस्त
यह पुल
नदी में बाढ़ आने से नहीं
बल्कि ...
अविश्वास और आपसी नासमझी के
हल्के झोकों से भी
बिखर जाएगा ॥

Views: 357

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 7, 2010 at 7:56pm
वाह बबन भाई क्या बात कही है, बहुत ही सुंदर कविता है ! सच कहा आपने आज के इस युग में दिलों कि देशों कि और उंच नीच कि खायी को पाटने के लिए ऐसे ही पुलों की ज़रुरत है !

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 6, 2010 at 2:58pm
Bahut sunder kavita aur bahut sunder vichar hain Baban Bhai, aj zaroorat hai ki hum dilon ki deewaren mitaney ke liye aisey hi pulon ka nirmaan karen. Is sunder rachna ke liye meri badhayi sweekar keejiye
Comment by baban pandey on June 6, 2010 at 1:46pm
धन्यवाद बागी भाई ,....सामाजिक सरोकार वाले विषयों पर लिखना अच्चा लगता है ....शायद समाज का कुछ भला हो सके .

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 6, 2010 at 1:35pm
आइए......
हम सब मिलकर एक पुल बनाएं
कंक्रीट पुल के इतर (उलट )
विस्वास की सीमेंट
मित्रता की ईट
संवेदना के गारे
और सहिष्णुता की बांस - बल्लियों से ....

बहुत ही उम्द्दा और नेक ख्यालो से लबरेज है ये कविता, कोई भी पूल के लिये उसका नीव तो मजबूत होना ही चाहिये, यदि नीव मजबूत ना हो तो पूल गया काम से, नेताओ द्वारा बनाया गया पूल की नीव अक्सर ही कमजोर रहता है जिसके कारण वो पूल कभी भी भरभरा कर धराशाई हो जाता है, दोस्ती की पूल मे तो नीव मजबूत होने के लिये बिश्वाश की मिटी होनी ही चाहिये जिसपर नीव रखी जाती है, बहुत ही बढ़िया रचना है बबन भाई, धन्यबाद ,
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on June 6, 2010 at 12:17pm
कुछ दिनों पहले पढ़ा था
एक तलाक शुदा दंपत्ति के
१२ वर्षीय पुत्र ने
माता -पिता के दिलो को जोड़ा
पुल बनकर ॥
bahut hi badhiya rachna hai baban jee......dhanyabaad

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"हा हा हा.. कमाल-कमाल कर जवाब दिये हैं आप, आदरणीय नीलेश भाई.  //व्यावहारिक रूप में तो चाँद…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तमन्नाओं को फिर रोका गया है
"धन्यवाद आ. रवि जी ..बस दो -ढाई साल का विलम्ब रहा आप की टिप्पणी तक आने में .क्षमा सहित..आभार "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आ. अजय जी इस बहर में लय में अटकाव (चाहे वो शब्दों के संयोजन के कारण हो) खल जाता है.जब टूट चुका…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर .ग़ज़ल तक आने और उत्साहवर्धन करने का आभार ...//जैसे, समुन्दर को लेकर छोटी-मोटी जगह…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।  अब हम पर तो पोस्ट…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service