For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमारे पास जो आता

हमारे पास आता जो वही दिल तोड़ जाता है
रहे जलता हमारा दिल मगर वो मुस्‍कुराता है

हमारी जिन्‍दगी में क्‍यों अधेरा ही रहे छाया
मिले न चैन दिल को क्‍यों भटकती है मेरी काया
न कोई दो कदम चल कर हमें जीना सिखाता है
रहे जलता हमारा दिल मगर वो मुस्‍कुराता है
हमारे पास आता जो वही दिल तोड़ जाता है

न नदियों को कभी देखा मिलाते दो किनारो को
बचाते फूल को मैने नहीं देखा बहारो को
जिसे हम खास कहते है वही हमको मिटाता है
रहे जलता हमारा दिल मगर वो मुस्‍कुराता है
हमारे पास आता जो वही दिल तोड़ जाता है

हमे लगता है डर भी अब किसी के पास आने से।।29
बसा कर दिल में अब उसको हमें अपना बनाने से।।29
न बतलाये कभी हमको हमें वो क्‍यों सताता हैं
रहे जलता हमारा दिल मगर वो मुस्‍कुराता है
हमारे पास आता जो वही दिल तोड़ जाता है

 मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी गहमर गाजीपुर

Views: 432

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Akhand Gahmari on October 4, 2014 at 9:08pm

आपके उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के सदैव आकांक्षी है नमन स्‍वीकार करें आदरणीय Sulabh Agnihotri जी

Comment by Akhand Gahmari on October 4, 2014 at 9:08pm

आपके उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के सदैव आकांक्षी है नमन स्‍वीकार करें आदरणीय गणेश जी बागी जी

Comment by Akhand Gahmari on October 4, 2014 at 9:07pm

आपके उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के सदैव आकांक्षी है नमन स्‍वीकार करें आदरणीया राजेश कुमारी जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 4, 2014 at 8:07pm

सुन्दर भावपूर्ण गीत बहुत खूब आ० अखंड गहमरी जी हार्दिक बधाई आपको. 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 3, 2014 at 8:36am

इस प्रयास को प्रोत्साहित करते हुए और बेहतर की उम्मीद है, बधाई आदरणीय गहमरी जी।

Comment by Sulabh Agnihotri on October 2, 2014 at 8:52pm

न नदियों को कभी देखा मिलाते दो किनारो को
बचाते फूल को मैने नहीं देखा बहारो को
जिसे हम खास कहते है वही हमको मिटाता है
रहे जलता हमारा दिल मगर वो मुस्‍कुराता है
हमारे पास आता जो वही दिल तोड़ जाता है

वाह ! बहुत सुन्दर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service