For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोगलापन (लघु कहानी)

"कुछ पुन्य कर्म भी कर लिया करो भाग्यवान, सोसायटी की सारी औरतें कन्या जिमाती है, और तू है कि कोई धर्म कर्म है ही नहीं|"
"देखिये जी लोग क्या कहते है, करते है इससे हमसे कोई मतलब ......"
बात को बीच में काटते हुए रमेश बोले- "हाँ हाँ मालुम है तू तो दूसरे ही लोक से आई है, पर मेरे कहने पर ही सही कर लिया कर|"
नवमी पर दरवाजे की घंटी बजी- -सामने छोटे बच्चों की भीड़ देख सोचा रख ही लूँ पतिदेव का मन| जैसे ही बिठा प्यार से भोजन परोसने लगी तो चेहरे और शरीर पर नजर गयी किसी की नाक बह रही थी, तो किसी के कपड़ो से गन्दी सी बदबू आ रही थी, मन खट्टा सा हो गया| किसी तरह शिखा ने दक्षिणा दे पा विदा कर अपने हाथ पैर धुले|
"देखो जी कहें देती हूँ इस बार तो आपका मन रख लिया, पर अगली बार भूले से मत कहना........| इतने गंदे बच्चे जानते हो एक तो नाक में ऊँगली डालने के बाद खाना खायी| मुझसे ना होगा यह....ऐसा लग रहा था कन्या नहीं खिला रही बल्कि.....भाव कुछ और हो जाये तो क्या फायदा ऐसी कन्या भोज का| अतः मुझसे उम्मीद मत ही रखना|"
"अच्छा बाबा जो मर्जी आये करो, बस सोचा नास्तिक से तुझे थोड़ा आस्तिक बना दूँ|"
"मैं नास्तिक नहीं हूँ जी. बस यह ढोंग मुझसे नहीं होता समझे आप|"
"अच्छा-अच्छा दूरग्रही प्राणी|"...पूरे घर में खिलखिलाहट गूंज पड़ी
पड़ोसियों ने दूजे दिन कहा -यार तेरी मुराद पूरी हो गयी क्या ? बड़ी हंसी सुनाई दे रही थी बाहर तक| हम इन नीची बस्ती के गंदे बच्चो को कितने सालो से झेल रहे है, पर नवरात्रे में ऐसे ठहाके नहीं गूंजे ..बता क्या बात हुई|"
शिखा मुस्करा पड़ी .....सविता मिश्रा

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 815

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savitamishra on October 5, 2014 at 4:49pm

गरीबी का मजाक उड़ाया गया है लघुकथा के बहाने से.....
इस तरह से यदि हम बोले तो हर कहानी या लघुकथा में किसी न किसी का उपहास ही किया जाता है विनोद भाई ...शुक्रिया आपका जो आपने अपना महत्वपूर्ण समय दिया

Comment by विनोद खनगवाल on October 5, 2014 at 2:05pm
गरीबी का मजाक उड़ाया गया है लघुकथा के बहाने से । विषय का चयन ठीक ढंग से नहीं कर पाई हैं । लघुकथा ना होकर एक संकीर्ण मानसिकता ही बनकर रह गई है। लघुकथा में केवल अपनी बात ही नहीं कहनी होती है कथा के प्रभाव पर भी विचार करना चाहिए। इससे लघुकथा के चरम को छुआ जा सकता है।
Comment by savitamishra on October 4, 2014 at 10:52pm

शुक्रिया गणेश बागी भाई आपका ......वैसे हमें लग रहा है हमने अपनी बात कही हैं ...हो सकता है भाषा पर पकड़ ना रख पायें हो |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 4, 2014 at 9:02pm

आदरणीया इस प्रयास हेतु बधाई प्रेषित है, मैं भी सुलभ जी से इत्तेफ़ाक़ रखता हूँ।  

Comment by savitamishra on October 3, 2014 at 1:41pm

अच्छा ! ऐसा क्या ? फिलहाल शुक्रिया सुलभ भाई आपका

Comment by Sulabh Agnihotri on October 3, 2014 at 11:44am

सविता जी !
भई मजा नहीं आया !
पहली बात तो भाषा पर रियाज नहीं भरपूर रियाज की जरूरत है।
दोगलापन कहाँ है भाई। आपकी नायिका मन से कन्या खिलाने का ढोंग करती तब बात अलग थी, वह तो कभी तैयार ही नहीं थी फिर दोगलापन कैसा ?
अंत में कतई मारक क्षमता नहीं है, संदेश समझ ही नहीं आया। बिखरी-बिखरी सी लगी पूरी लघुकथा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service