For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : दुकानदारी (गणेश जी बागी)

                 कपूर साहब कंस्ट्रक्शन कम्पनी के मालिक हैं । उनके संरक्षण में चलने वाली साहित्यिक संस्था सरकारी विभाग के सर्वोच्च अधिकारी वर्मा जी को उनकी लिखी किताब के लिए आज सम्मानित कर रही है । कपूर साहब ने शॉल, स्मृति-चिन्ह और स्वर्ण-पत्र देकर वर्माजी को सम्मानित किया ।

                     कार्यक्रम समापन के पश्चात कपूर साहब ने वर्मा जी को बधाई देते हुए धीरे से कहा, "सर, जरा उस 200 करोड़ वाले टेंडर को देख लीजियेगा"

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : बंद गली

Views: 1034

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on October 8, 2015 at 12:29pm

वाह !!! क्या सम्मानित ये सम्मान है।  अनुबंध पर ये बहुत खूब प्रबंध है।  गजब की लघुकथा आज  हठात हाथ आ गयी मेरे।  विचरती रहती हूँ obo की गलियों में अक्सर , सुना है इसके गर्भ में कहीं ढेरों खज़ाना छुपा है।  हाँ है।  तभी तो मेरे हाथ आज इतनी सार्थक लघुकथा आई है।  बधाई आपको आदरणीय गणेश जी बागी जी इस सटीक और सार्थक रचना के लिए।  सादर  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 12, 2015 at 1:49am

बहुत खूब ..सफल लघुकथा 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 11, 2014 at 2:20am

वाह भाई वाह.. ! बहुत खूब !!

’घाव करे गंभीर’ को चरितार्थ करती इस लघुकथा केलिए हार्दिक बधाई, भाई गणॆशजी. अनेकानेक शुभकामनाएँ


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 3, 2014 at 1:05pm

सराहना हेतु दिल से आभार भाई लक्ष्मण धामी जी। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 3, 2014 at 11:44am

आदरणीया महिमा जी, तारीफ़ हेतु शुक्रिया, किन्तु लघुकथा सम्राट ओ बी ओ पर बस एक ही हैं ---- परम आदरणीय श्री योगराज प्रभाकर जी। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 2, 2014 at 1:51pm

बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार प्रिय पवन जी। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 2, 2014 at 1:46pm

आदरणीय हरिबल्लभ शर्मा जी, प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया हेतु दिल से धन्यवाद।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 2, 2014 at 1:46pm

आदरणीया वेदिका जी, व्यस्त दिनचर्या से कुछ समय निकाल कर आपने इस लघुकथा पर प्रतिक्रिया दी, अच्छा लगा, इस प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 2, 2014 at 1:46pm

लघुकथा पसंद करने हेतु आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 2, 2014 at 1:45pm

आदरणीय डॉ आशुतोष जी, प्रयास करता हूँ कि लघुकथा अपने मापदंडों पर खरा हो, शेष आप गुणीजनों का मुहब्बत है, सराहना हेतु बहुत बहुत आभार।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर और भावप्रधान गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"सीख गये - गजल ***** जब से हम भी पाप कमाना सीख गये गंगा  जी  में  खूब …"
8 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"पुनः आऊंगा माँ  ------------------ चलती रहेंगी साँसें तेरे गीत गुनगुनाऊंगा माँ , बूँद-बूँद…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल २२   २२   २२   २२   २२   …"
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service