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लघुकथा : बंद गली (गणेश जी बागी)

                  नंद वन अपने नाम के अनुसार ही आनंद पूर्ण वातावरण के लिए जाना जाता था, सभी जानवर शांति और भाईचारा से जीवन व्यतीत करते थे किन्तु अब यहाँ सब कुछ बदल गया था, कालू भेड़िया और दुर्जन भैस राजा की छत्र - छाया में आनंद वन में अत्याचार कर रहे थे, यहाँ तक की दिनदहाड़े ही बहु बेटियों को अपने अड्डे पर उठा ले जाते थे और विरोध करने वालों को जान से मार देते थे ।
                 भोलू हिरन की पत्नी को भी कालू और दुर्जन ने अपने गुंडों के साथ आकर सबके सामने उठा ले गए, भोलुआ कुछ न कर सका । शिकायत लेकर भोलुआ संतरी से लेकर मंत्री तक गया किन्तु कई दिन बीतने के बाद भी कोई सुनवाई न हो सकी ।
                "आनंद टाइम्स" में आज की हेड लाइन थी, "कालू और दुर्जन की हत्या, भोलुआ नक्सलियों में शामिल" 

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by मिथिलेश वामनकर on February 12, 2015 at 1:51am

पकड़ी समस्या की नब्ज़ 

Comment by विजय मिश्र on October 6, 2014 at 1:18pm
आत्मा कितनी विगलित होती होगी ,शासन और सत्ता की नकारात्मक प्रवृत्ति और उपेक्षा किसप्रकार के हताशा को अंकुरित करती होगी कि एक सज्जन अपने लाचारियों से कुंठित हो ,संस्कारों को ताक पर रख कुत्सितता और बर्बरता को विवश होता होगा |सुंदर और प्रेरक कथा हेतु बधाई बागीजी

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 4, 2014 at 9:09pm

आभार सविता मिश्रा जी। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 4, 2014 at 9:08pm

आदरणीय विजय प्रकाश शर्मा  जी, आपकी प्रतिक्रिया पढ़ मन प्रसन्न है, बहुत बहुत आभार। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 4, 2014 at 9:08pm

आदरणीय गिरिराज भाई साहब, आपकी समीक्षात्मक टिप्पणी उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार प्रेषित है। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 4, 2014 at 9:05pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी, लघुकथा पर आपकी प्रतिक्रिया प्रोत्साहित करती है, बहुत बहुत आभार। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 24, 2014 at 11:49am

आदरणीय भाई सत्यनारायण जी, लघुकथा पर आपकी उत्साहवर्धन करती टिप्पणी पढ़ अच्छ लगा, बहुत बहुत आभार प्रेषित करता हूँ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 24, 2014 at 11:46am

आदरणीय अग्रज लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला जी, लघुकथा पर आपकी विवेचनात्मक टिप्पणी पढ़ मन मुग्ध है, आशीर्वाद बनाये रखें, सादर।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 24, 2014 at 11:45am

लघुकथा पसंद करने हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय जीतेन्द्र जी।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 24, 2014 at 11:43am

लघुकथा को सराहने हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी।

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