For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यादें

 

आज अचानक यूं ही

खिड़की के पास उग आई 

मेरी यादों की बगिया

मनोरमता से भरी हुई।

मैंने देखा ..................

कुछ पुष्प पौधों ने जन्म लिया

अभी-अभी और जवान हो गए.

इठलाते हुए 

उड़ रही थी भीनी-भीनी खुशबू

यादों की,

बगिया के हर कोने से

हर क्यारी में तने हुए थे

मधुर यादों के इन्द्र-धनुष

जो खिचते थे बरवश अपनी तरफ

हर एक पल ..............................

किसी ने मेरे हाथ को धीरे से छुआ

मेरे हृदय में सहसा कुछ हुआ

देखा तो मेरे यौवन का सूरज-मुखी

खड़ा था निहारता मुझे..........

हमेशा की तरह

मुस्कराता हुआ बाँहें फैलाये

मुझे अपना सूरज समझकर।

मेरे दिलका डिब्बा खुला

बिखर गए बीज और ज्यादा

मेरे भोली मासूम यादों के

इस बार मैं भी अंकुरित हो रही थी

उन के साथ ................. ।

काश !रह पाती हर पल लीन अपनी

यादों साथ  ............................. ॥

अप्रकाशित व मौलिक 

कल्पना मिश्रा बाजपेई  

Views: 509

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kalpna mishra bajpai on October 19, 2014 at 9:49pm

आ०डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  सर बहुत आभार ।सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on October 19, 2014 at 9:48pm

आ० Chhaya Shukla महोदया बहुत आभार ।सादर

Comment by kalpna mishra bajpai on October 19, 2014 at 9:47pm

आ० JAWAHAR LAL SINGH सर बहुत आभार ।सादर

Comment by kalpna mishra bajpai on October 19, 2014 at 9:47pm

आ० Dr. Vijai Shanker सर बहुत आभार ।सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 21, 2014 at 3:55pm
यादें कितनी मनमोहक होती हैं , मन उन्हीं में घूमता रहता है , मन को अच्छा लगता है. बहुत आकर्षक , मोहक प्रस्तुति है .
बधाई आदरणीय कल्पना मिश्रा बाजपेयी जी .
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 21, 2014 at 3:16pm

मेरे भोली मासूम यादों के

इस बार मैं भी अंकुरित हो रही थी

उन के साथ ................. ।

काश !रह पाती हर पल लीन अपनी

यादों साथ  ........................ सुन्दर चित्रण!

Comment by Chhaya Shukla on September 20, 2014 at 10:14pm

बड़े गहरे भाव बिखेरे हैं आपने अपनी अतुकांत रचना में बहन सीमा जी एक अद्भुत रस का आनंद मिला बधाई बहन ! 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 20, 2014 at 2:07pm

आदरणीया  कल्पना जी

बहत आत्म-मंथन से यह कविता निकली है i इसीलिये  बहुत ही सुन्दर और रमणीय हैं i आपको बधाई i

इस बार मैं भी अंकुरित हो रही थी

उन के साथ ................. ।

काश !रह पाती हर पल लीन अपनी

यादों साथ  .............................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service