For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब बहाने थे नये तो दिल को भी उम्मीद थी - गजल ( लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’ )

2122    2122    2122    212

*********************************
दिल  हमारा  तो  नहीं था आशियाने के लिए
फिर कहाँ से आ गये दुख घर बसाने के लिए
***
हम ने सोचा  था कि होंगी महफिलों में रंगतें
पर  मिली  वो  ही  उदासी जी दुखाने के लिए
***
था सुना हमने बुजुर्गो से  कि कातिल नफरतें
प्यार  भी  जरिया  बना पर खूँ बहाने के लिए
***
जब सभल जाएगा तुझको पीर देगा अनगिनत
हो  रहा   बेचैन  तू  भी   किस  जमाने के लिए
***
जब बहाने थे नये तो दिल को भी उम्मीद थी
है  बहाना  शेष  ही  क्या अब बुलाने के लिए
***
व्यर्थ  है  रोना, जुदाई  भाग्य में जब है लिखी
इक मिलन की रात तो है हँस बिताने के लिए
***
( रचना 12 सितम्बर 2014 )

मौलिक और अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’
गजल

Views: 525

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 20, 2014 at 1:30pm

धामी जी

अति उत्तम i

जब सभल जाएगा तुझको पीर देगा अनगिनत
हो  रहा   बेचैन  तू  भी   किस  जमाने के लिए

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 20, 2014 at 10:53am


आदरणीय भाई जितेंद्र जी , आपकी उपस्थिति से गजल का जो मान बढ़ा है उसके लिए हार्दिक आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 20, 2014 at 10:53am


आदरणीय भाई भुवन जी, गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद । जहां तक गहरी बात कहने का सवाल है आप सभी की संगत का असर है जो कभी कभी गहरी बात दिल में आ जाती है । स्नेह बनाए रखें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 20, 2014 at 10:52am


आदरणीय भाई नरेंद्र जी, गजल की प्रशंसा के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 20, 2014 at 10:52am


आदरणीय भाई रामअवध जी उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 20, 2014 at 10:52am


आदरणीय भाई विजय निकोर जी, आपकी उपस्थिति से गजल का जो मान बढ़ा है उसके लिए आभार । भविष्य में भी आपका स्नेहाशीष मिलता रहे यही कामना है । शुभ .... शुभ....

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 20, 2014 at 10:52am


आदरणीय भाई खुर्शीद जी, गजल की प्रशंसा और स्नेह के लिए आभार । उपस्थिति बनाए रखें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 20, 2014 at 10:51am

आदरणीय भाई गिरिराज जी , गजल का अनुमोदन कर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 20, 2014 at 8:54am

व्यर्थ  है  रोना, जुदाई  भाग्य में जब है लिखी
इक मिलन की रात तो है हँस बिताने के लिए......बहुत खुबसूरत. दिली बधाई आपको आदरणीय लक्ष्मण जी

Comment by भुवन निस्तेज on September 19, 2014 at 10:44pm

व्यर्थ  है  रोना, जुदाई  भाग्य में जब है लिखी
इक मिलन की रात तो है हँस बिताने के लिए

बड़ी गहरी बात कह जाते हो आदरणीय....बधाई स्वीकार करें...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंदः श्राद्ध पितृ-पक्ष आवश्यक है, उद्धार हेतु आत्मा करें हुतात्मा के हित तर्पण, मिले उन्हें…"
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service