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‘महिला उत्थान’ मुद्दे पर संगोष्ठी से घर लौटते  ही कुमुद से उसके पति ने कहा... “अभी थोड़ी देर पहले ही दीपा आई थी मिठाई लेकर वो  बहुत अच्छे नम्बरों से पास हुई है  कंप्यूटर कोर्स तो उसका पूरा हो ही गया था,तुम्हारी प्रेरणा और  मार्ग दर्शन से कितना कुछ कर लिया इस लड़की ने हमारे घर में काम करते-करते....  अब सोचता हूँ अपने ऑफिस में एक वेकेंसी निकली है इसको रखवा दूँ “

 कुमुद कुछ सोच कर बोली”अजी इतनी भी क्या जल्दी, वैसे भी सोचो इतनी अच्छी काम वाली फिर कहाँ मिलेगी, फिर तो ये काम करेगी नहीं”!!!

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 29, 2014 at 9:42pm

आ० अखिलेश जी,लघु कथा आपको पसंद आई हार्दिक आभार आपका | 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on July 24, 2014 at 5:46pm

आदरणीया राजेश जी

दांत दिखाने के और हैं, खाने के कछु  और । समाज में  ऐसे दोहरे चरित्र वालों  की भरमार है । इन्हें समझना भी मुश्किल है।

लघु कथा की हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 24, 2014 at 9:57am

आ० लक्ष्मण प्रसाद जी ,आपको लघुकथा प्रभावशाली लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ ,हार्दिक आभार आपका |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2014 at 9:44am

महिला उत्थान की चर्चा ज्यादा और अमल का होते देखा गया है | स्वार्थ वश महिलाए ही महिला उत्थान में बाधा बन रही है 

इसी धारणा को पुष्ट करती सुन्दर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई आद. राजेश कुमारी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 23, 2014 at 11:10am

लक्ष्मण धामी भैया ,लघुकथा  आपका अनुमोदन पाकर सार्थक हुई दिल से आभार आपका |

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 23, 2014 at 10:59am

आ0 राजेश बहन व्यक्ति के मनोविज्ञान को उजागर करती  इस बेहतरीन लघुकथा के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई  ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 22, 2014 at 9:25pm

आ० गिरिराज भंडारी जी ,लघु कथा आपको प्रभावपूर्ण लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ आपका दिल से आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 22, 2014 at 8:52pm

आदरणीया राजेश जी , दुनिया ऐसी ही है , जब तक खुद को नुक्सान न हो दूसरों की सोच पाती है , जहाँ अपने पर बात आये मुँह मोड़ लेती है ! सुन्दर लघुकथा के लिये आपको बधाइयाँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 22, 2014 at 7:27pm

आ० सौरभ जी ,लघु कथा पर आपका अनुमोदन मिला मेरा लिखना सार्थक हुआ आपका हृदय तल से आभार |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 22, 2014 at 3:06pm

दोमुँहे चरित्र को कितनी सुन्दरता से शब्द दिये हैं आपने, आदरणीया राजेशजी.

लघुकथा समाज के उस वर्ग की खबर लेती है, जिस वर्ग ने शोषण और प्रताड़नाओं पर भावनाओं का मुलम्मा चढ़ा, इसे सामाजिक व्यवहार बना रखा है.

हृदय से बधाई.. .

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