For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नज़र मुझ पे कर दे ......गज़ल

एक गज़ल 

वज्न- 122 122 122 12

मेरे दिल को तुझसे वफ़ा चाहिए 

न जख्म ए जिगर फिर नया चाहिए 

~

है अरसा हुआ मै हूँ अब भी वहीँ 

तेरे दिल से निकली सदा चाहिए 

~

जो बीमार को कर सके है भला 

किसी हाथ में वो शिफ़ा चाहिए 

~

ये हैं इन्तेज़ामात तेरे ख़ुदा 

है किसने कहा इब्तिला* चाहिए                               दुःख 

~

जो दिल हैं परेशां जफ़ा से यहाँ 

महज़ उनके खातिर दुआ चाहिए 

~

अजी संगदिल है वो मेरा सनम 

नज़र मुझपे कर दे तो क्या चाहिए 

~

~वेदिका                           

[मौलिक/ अप्रकाशित] 

Views: 933

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 17, 2014 at 9:24pm

हुत सुंदर गजल कही,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बधाइयाँ.......

Comment by mrs manjari pandey on July 17, 2014 at 7:41pm
आदरणीया वेदिका जी उम्दा लिए आपको बधाइयाँ
Comment by Zaif on July 17, 2014 at 6:11pm
Vry nice ma'am!
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 17, 2014 at 3:42pm

सारी , मक्ता नहीं कहेंगे आख़िरी शेर है i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 17, 2014 at 3:39pm

  

 

आदरणीया

बेहतरीन मक्ता  i लाजवाब i  संग्रहणीय i

सादर i

Comment by वेदिका on July 17, 2014 at 3:04pm
आभार व्यक्त करती हूँ आ0 नरेन्द्र सिंह जी! आ0 शेखर जी!
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 16, 2014 at 9:29pm

बहुत सुंदर गजल कही आपने, आदरणीया वेदिका जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on July 16, 2014 at 7:39am
बहुत खूब
Comment by वेदिका on July 16, 2014 at 12:49am
आपका ह्रदय तल से आभार आ0 सौरभ जी! आ0 राजेश दीदी जी! आ0 सुशिल जी! आ0 मदन मोहन जी!
Comment by वेदिका on July 16, 2014 at 12:48am
आपका बहुत बहुत आभार आ0 गोपाल जी! आ0 शिज्जू जी! आ0 सविता मिश्र जी! आ0 गिरिराज जी!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"भाई शिज्जू जी, क्या ही कमाल के अश’आर निकाले हैं आपने. वाह वाह ...  किस एक की बात करूँ…"
38 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपके अभ्यास और इस हेतु लगन चकित करता है.  अच्छी गजल हुई है. इसे…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई , क्या बात है , बहुत अरसे बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ा रहा हूँ , आपने खूब उन्नति की है …"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service