For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : सदा संदेह से बरसों का बंधन टूट जाता है

बह्र : हज़ज़ मुसम्मन सालिम

मुलायम फूल सा हो दिल या दरपन टूट जाता है,
सदा संदेह से बरसों का बंधन टूट जाता है,

जमीं जब रार बोती है सगे दो भाइयों में तो,
मधुर संबंध आपस का पुरातन टूट जाता है,

तुम्हारी याद में मैया मैं जब आंसू बहाता हूँ,
दिवारें सील जाती हैं कि आँगन टूट जाता है,

पृथक प्रारब्ध ने हमको किया है जानता हूँ पर,
विरह की वेदना में जूझके मन टूट जाता है,

भले अभिमान करती हों स्वयं पे खूब बरसातें,

झड़ी नैनों की लगती है तो सावन टूट जाता है,

समस्याओं से होता है नहीं विचलित कभी लेकिन,
क्षुधा औ प्यास बढ़ती है तो निर्धन टूट जाता है,

खड़ा रणक्षेत्र में बेहद भले हो शत्रु बलशाली,
समझदारी व साहस हो तो दुश्मन टूट जाता है.

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 807

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 15, 2014 at 6:24pm

एक कामयाब और अनुभवों से भरी ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय

Comment by Madan Mohan saxena on July 9, 2014 at 3:55pm

समस्याओं से होता है नहीं विचलित कभी लेकिन,
क्षुधा औ प्यास बढ़ती है तो निर्धन टूट जाता है,

खड़ा रणक्षेत्र में बेहद भले हो शत्रु बलशाली,
समझदारी व साहस हो तो दुश्मन टूट जाता है.

बहुत सुन्दर गजल ,हार्दिक बधाई

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 9, 2014 at 1:57pm

आदरणीय निलेश भाई जी आपका हार्दिक आभार ग़ज़ल पर समय देने हेतु एवं सराहना हेतु.

मेरे निम्न ज्ञान के अनुरूप क्षुधा का अर्थ भूख से होता है कदाचित मैं गलत हूँ. इस अशआर में मैं गरीब की भूख और प्यास की बात कर रहा हूँ जोकि आप भली भांति समझते हैं.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 9, 2014 at 10:40am

आदरणीय शिज्जु भाई जी बहुत बहुत शुक्रिया ग़ज़ल आपको पसंद आई सफल हुई.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 9, 2014 at 10:39am

आदरणीया राजेश माँ जी हृदयतल से बहुत बहुत शुक्रिया ग़ज़ल पर आपका आशीष प्राप्त हुआ ग़ज़ल सफल हुई.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 9, 2014 at 10:39am

आदरणीय आशुतोष सर प्रत्येक अशआरों पर समीक्षात्मक टिपण्णी हेतु बहुत बहुत आभार स्नेह यूँ ही बनाये रखिये


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 9, 2014 at 10:39am

आदरनीय अरुण अननत भाई , हर शे र जीवन की एक एक सच्चाई बयान कर रहा है ॥ पूरी गज़ल बहुत सुन्दर हुई है । बधाइयाँ ॥

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 9, 2014 at 10:38am

आदरणीया गीतिका जी हार्दिक आभार आपका ग़ज़ल पर समय देने हेतु, आदरणीया जब मैंने यह शे'र लिखा था तो मेरे दिमाग में केवल यही एक बात थी.

जब मैं माँ की यादों में फूट-२ कर रोता हूँ तो मेरे आसुओं से दीवारों में सीलन आ जाती और मेरी सिसक को सुनकर वह आँगन जो माँ से ही सम्पूर्ण होता है, तुलसी एवं फूलों के अनेक रंगों से हरा भरा रहता था आज सूखा हुआ है वह टूट जाता है. टूटने का अर्थ यहाँ तोड़ फोड़ से नहीं है. आशा मैं अपनी बात आप तक पहुंचा पाया हूँ.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 9, 2014 at 10:34am

आदरणीय गुरुदेव श्री हृदयतल से हार्दिक आभार आपका आपके ही आशीष का फल है जो कुछ भी आज लिख पा रहा हूँ. आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 9, 2014 at 10:32am

आदरणीय गोपाल सर बहुत बहुत शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आयोजन की सफलता हेतु सभी को बधाई।"
48 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। वैसे यह टिप्पणी गलत जगह हो गई है। सादर"
48 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार।"
49 minutes ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)

बह्र : 2122 2122 2122 212 देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिलेझूठ, नफ़रत, छल-कपट से जैसे गद्दारी…See More
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपने अन्यथा आरोपित संवादों का सार्थक संज्ञान लिया, आदरणीय तिलकराज भाईजी, यह उचित है.   मैं ही…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत शुक्रिया आपका बहुत बेहतर इस्लाह"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी जी, आपने बहुत शानदार ग़ज़ल कही है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी, अपनी समझ अनुसार मिसरे कुछ यूं किए जा सकते हैं। दिल्लगी के मात्राभार पर शंका है।…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service