For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हुई न खत्म मेरी दास्ताने ग़म यारो- ग़ज़ल

1212 1122 1212 22

हुई न खत्म मेरी दास्ताने ग़म यारो

हरेक लफ़्ज़ अभी अश्क़ से है नम यारो

 

है ज़िन्दगी तो यहाँ मुश्किलात भी होंगी

चलो जियें इसे हर सांस दम ब दम यारो

 

इधर चराग का जलना उधर हवा की रौ

ये मेरा ज़ोरे जिगर और वो सितम यारो

 

लिबास ही से न होगा कभी नुमायाँ सच

सफ़ेदपोश तो लगते हैं मुह्तरम यारो

 

रहा न बस कोई तहरीर पर किसी का अब

चलाना भूल गईं उँगलियाँ क़लम यारो

 

मैं रफ़्ता- रफ़्ता उबरने लगा हवादिस से

कि हौसला मेरे दिल में कहाँ है कम यारो

 

मुह्तरम =सम्माननीय

तहरीर =लिखावट

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 722

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 8, 2014 at 8:14pm

आदरणीय सौरभ सर आपका तहेदिल से शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 8, 2014 at 8:13pm

आदरणीय डॉ प्राची जी रचना को मान देने के लिये आपका तहेदिल से शुक्रिया


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 2:52am

वाह !

दिल से बधाई भाईजी.. .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 3, 2014 at 2:03pm

है ज़िन्दगी तो यहाँ मुश्किलात भी होंगी

चलो जियें इसे हर सांस दम ब दम यारो.....................यही हौसला तमाम मुश्किलों के पार ले जाता है 

 

इधर चराग का जलना उधर हवा की रौ

ये मेरा ज़ोरे जिगर और वो सितम यारो......................बहुत खूब 

सुन्दर अश'आर हुए हैं आ० शिज्जू जी 

हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 28, 2014 at 1:42pm

आदरणीय अरुण भाई आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 26, 2014 at 12:59pm

वाह भाई वाह बहुत ही खूबसूरत उम्दा ग़ज़ल कही है आपने ढेरों दिली बधाइयाँ स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 25, 2014 at 6:27pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 25, 2014 at 6:26pm

आदरणीय नरेन्द्र सिंह चौहान जी आपका हार्दिक आभार

Comment by annapurna bajpai on June 25, 2014 at 6:13pm

लाजवाब , बहुत खूब , बधाई आपको इस सुंदर गजल के लिए । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 24, 2014 at 9:34pm

आदरणीय गिरिराज सर ये आपका बड़प्पन है जो मुझे इतना मान दे रहे हैं स्नेह यूँ ही बनाये रखें, रचना के समय देने और सराहने के लिये आपका तहेदिल से शुक्रिया।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
15 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service