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गजल- चल रही है आँंधियॉं...

गजल- चल रही है आँंधियॉं...
बह्र-- 2122 2122 2122 212

जिन्दगी है आस्मां हर ओर खालीपन चुभे। 
आजकल की दास्तां हर ओर खालीपन चुभे।।

चॉंद, अपनी चॉंदनी रखता नहीं जब पास में,
मेघ-मावस से जहां हर ओर खालीपन चुभे।1

भोर की लाली चहक कर मॉंगती वर खास है,
सॉंझ को लुटती यहां हर ओर खालीपन चुभे।2

प्यार आँंखों में दिलों में दर्द का दरिया बहे,
डूबती कश्ती शमां हर ओर खालीपन चुभे।3

झॉंकते हैं अब झरोखों से सितमगर-हमसफर,
आग से उठता धुआं हर ओर खालीपन चुभें।4

धर्म-'सत्यम' का दिया कब तक जले इस देश में,
चल रही है आँंधियां हर ओर खालीपन चुभे।।5

के0पी0 सत्यम/ मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 20, 2014 at 5:59pm

आ0  रामानी'दी जी,   आपका हृदयतल से आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 20, 2014 at 5:58pm

आ0  सुशाील भाईजी आपका हृदयतल से आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on June 20, 2014 at 5:57pm

आ0 वेदिका जी ,  आपका हृदयतल से आभार।  सादर,

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 20, 2014 at 1:16pm

सत्यम जी

कहाँ थे मित्र  ? बहुत दिन बाद दिखे वह  भी  इस खूबसूरत गजल के साथ i मुबारक हो i

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 20, 2014 at 9:44am

प्यार आँखों में दिलों में दर्द का दरिया बहे,
डूबती कश्ती शमां हर ओर खालीपन चुभे।

बहुत खूब आ० केवल भाई , पूरी ग़ज़ल सुन्दर बानी है हार्दिक बधाई कबूलें .

Comment by coontee mukerji on June 19, 2014 at 11:48pm

बहुत सुंदर गज़ल .आपको हार्दिक बधाई.केवल भाई.

Comment by कल्पना रामानी on June 19, 2014 at 10:27pm

सुंदर गजल के लिए आपको हार्दिक बधाई आदरणीय केवल प्रसाद जी

Comment by Sushil Sarna on June 19, 2014 at 6:43pm

जिन्दगी है आस्मां हर ओर खालीपन चुभे।
आजकल की दास्तां हर ओर खालीपन चुभे .... बेहतरीन अभिव्यक्ति … सुंदर अहसासों को जीती सुंदर ग़ज़ल .... हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति हेतु आदरणीय केवल प्रसाद जी

Comment by वेदिका on June 19, 2014 at 5:26pm

जिन्दगी है आस्मां हर ओर खालीपन चुभे। 
आजकल की दास्तां हर ओर खालीपन चुभे।। ..... बढ़िया अभिव्यक्ति

बधाई आ० केवल जी!

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