For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दरिया रहा कश्ती रही लेकिन सफर तन्हा रहा

हम भी वहीं तुम भी वहीं झगड़ा मगर चलता रहा

साहिल मिला मंजिल मिली खुशियां मनीं लेकिन अलग
खामोश हम खामोश तुम फिर भी बड़ा जलसा रहा

सोचा तो था हमने, न आयेंगे फरेबे इश्क में
बेइश्क दिल जब तक रहा इस अक्ल पर परदा रहा

शिकवे हुए दिल भी दुखा दूरी हुई दोनों में पर
हर बात में हो जिक्र उसका ये बड़ा चस्का रहा

छाया नशा जब इश्क का 'चर्चित' हुए कु्छ इस कदर
गर ख्वाब में उनसे मिले तो शहर भर चर्चा रहा

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

- विशाल चर्चित

Views: 657

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 31, 2014 at 9:50am

यानि जून के करीब प्रथम हफ़्ते के आसपास के बाद अपने अनन्य भाई अगस्त के आखिरी दिन देहरी पर आये हैं.. :-)))

आपकी गरिमामय उपस्थिति से हम सभी हर समय लाभान्वित व सम्मानित होना चाहते हैं, विशाल भाई ..

शुभ-शुभ

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on August 31, 2014 at 8:47am

हृदय से आभारी हूं एवं प्रणाम करता हूं आपके स्नेह को सौरभ सर कि आपने सराहना के साथ ही एक दोष भी इंगित किया.... इस बहाने मुझे इस दोष के बारे में जानने का अवसर मिला.... सच्ची में मैं तो इस दोष के बारे में जानता ही नहीं था....!!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 9, 2014 at 3:03pm

अय हय.. अय हय !

कमाल तो करते ही हैं, भाई, अब आप धमाल भी करने लगे हैं ! .. हा हा हा.. 

इस ग़ज़ल पर बधाई-बधाई-बधाई !!

अलबत्ता,  सोचा तो था हमने, न आयेंगे फरेबे इश्क में    तथा    हर बात में हो जिक्र उसका ये बड़ा चस्का रहा...   इन दो मिसरों को छोड़ दें तो अरुज़ के लिहाज से भी ग़ज़ल शानदार हुई है.

उपरोक्त मिसरों में शिकस्ते नारवा का दोष आ गया है.

शुभेच्छाएँ

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on June 8, 2014 at 10:47pm

निलेश भाई, श्याम भाई जी, अभिनव भाई, गिरिराज सर जी, कुन्ती जी, जितेन्द्र भाई, गोपाल सर जी, बृजेश भाई एवं वन्दना जी.... आप सभी का हृदय से आभार !!!

Comment by vandana on June 7, 2014 at 6:35am

वाह बहुत खूब !!! आदरणीय 

Comment by बृजेश नीरज on June 6, 2014 at 10:06pm

वाह! बहुत खूब! बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल! आपको बहुत-बहुत बधाई!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 5, 2014 at 11:30am

मित्र

क्या लाजवाब मक्ता है i  अति सुन्दर i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 4, 2014 at 11:56pm

बहुत सुंदर गजल आदरणीय विशाल जी, बधाई आपको

Comment by coontee mukerji on June 4, 2014 at 6:17pm

सोचा तो था हमने, न आयेंगे फरेबे इश्क में
बेइश्क दिल जब तक रहा इस अक्ल पर परदा रहा.....क्या बात है.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 4, 2014 at 11:05am

आदरणीय विशाल भाई , लाजवाब ग़ज़ल कही है , बधाइयाँ ॥

छाया नशा जब इश्क का 'चर्चित' हुए कु्छ इस कदर
गर ख्वाब में उनसे मिले तो शहर भर चर्चा रहा ------------ मक्ते के लिये विशेष बधाइयाँ ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service