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जाने खोयी कहाँ दिवानी

२२२  ११२    १२२   

 

नानी अब न कहे कहानी

राजा खोये नहीं वो रानी  

 

रेतीली वो नदी पुरानी

गुम पैरों कि मगर निशानी

 

बोली तुतली हिरन सी आँखे

जाने खोयी कहाँ दिवानी

 

बचपन बीत गया है पल में

 

मुरझाई सी लगे जवानी

 

देखेंजब भी जहर हवा में

बहता आँख से मेरी पानी

 

भूली सजनी किये थे वादे

उंगली में है पडी निशानी

 

बिसरा पाये कभी नहीं हम

गांवों वाली हवा सुहानी 

मौलिक व अप्रकाशित

 

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Comment

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 29, 2014 at 4:41pm

आदरणीय गुमनाम जी ..मेरी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक पर्तिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद ..सादर

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 29, 2014 at 4:40pm

आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..आपकी उत्साहजनक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद ..रुक्न केविषय में बिद्वात्जानो की प्रतिक्रिया का मुझे भी इंतज़ार रहेगा ..सादर

Comment by gumnaam pithoragarhi on May 29, 2014 at 4:15pm

नानी अब न कहे कहानी

राजा खोये नहीं वो रानी  

भूली सजनी किये थे वादे

उंगली में है पडी निशानी

अच्छी गज़ल के लिये बधाई,,,,,,बहुत सुंदर भावपूर्ण गजल,,,,,,,,,,,,,,,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 28, 2014 at 5:56pm

आदरणीय आशुतोष भाई , अच्छी गज़ल के लिये बधाई !! बह्र के रुक्न के विषय मे शंका है , जानकारों का इंतिज़ार करें ॥

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 28, 2014 at 11:05am

आदरणीय कुंती जी ..आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by coontee mukerji on May 27, 2014 at 5:46pm

नानी अब न कहे कहानी

राजा खोये नहीं वो रानी  

 

रेतीली वो नदी पुरानी

गुम पैरों कि मगर निशानी

 

बोली तुतली हिरन सी आँखे

जाने खोयी कहाँ दिवानी......बहुत सुंदर....आशुतोष जी. हार्दिक बधाई.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 27, 2014 at 1:07pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी ..आप हमेशा ही अपनी प्रतिक्रियाओं से मेरा हौसला बढाते हैं ..बस आपका स्नेह यूं ही मिलता रहे..सादर धन्यवाद के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 27, 2014 at 12:57pm

आदरणीय गोपाल सर ..आपकी बड़ों का आशीर्वाद बस यूं ही मिलता रहे बस इसी आकांक्षा के साथ ..सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 27, 2014 at 12:55pm

आदरणीय श्याम जी . मेरी रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद ..सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 27, 2014 at 11:58am

जीवन में सिर्फ यादें रह जाती है .बहुत सुंदर भावपूर्ण गजल, बधाई आदरणीय डा.आशुतोष जी

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