For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

22122

लाचार हो क्या?

सरकार हो क्या?

छुट्टी पे छुट्टी,

इतवार हो क्या?

छूते ही ज़ख़्मी,

औजार हो क्या?

बेचा है खुद को,

बाज़ार हो क्या?

तारीफ कर दूँ,

अशआर हो क्या?

खुद से ही बातें,

बीमार हो क्या?

*****************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 779

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 14, 2014 at 10:25am

आदरणीय राम भाई , इतनी छोटी बह्र मे कमाल की ग़ज़ल कही है , सभी शे र लाजवाब हैं , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ॥


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 13, 2014 at 9:29am

राम भाई इस ग़ज़ल से आपने एकदम से चौकाया है, छोटी बहर पर कहन को जिस खूबसूरती से निभाया है वह तारीफ़ के काबिल है, सभी अशआर एक से बढ़कर एक है, कुल मिलाकर एक खुबसूरत ग़ज़ल प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on May 12, 2014 at 2:46pm

छोटी बह्र में बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल भाई राम बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 12, 2014 at 8:56am

छूते ही ज़ख़्मी,

औजार हो क्या?...........वाह!क्या गजब कहा

बेचा है खुद को,

बाज़ार हो क्या?..........यह तो करारा प्रहार हुआ

खुद से ही बातें,

बीमार हो क्या?............ओह!!  अवसाद से ग्रसित :))

छोटी बह्र पर बहुत लाजवाब गजल कही आपने आदरणीय राम शिरोमणि जी, दिली बधाइयाँ स्वीकारें

Comment by ram shiromani pathak on May 11, 2014 at 4:35pm

हार्दिक आभार आदरणीया मीना जी …।  सादर

Comment by Meena Pathak on May 11, 2014 at 2:25pm

वाह वाह पाठक जी .. क्या बात है .. बेहतरीन गज़ल .. बधाई 

Comment by ram shiromani pathak on May 10, 2014 at 7:19pm

हार्दिक आभार आदरनीय भाईं गुमनाम  महिमा  जी,,,,,,,,,,सादर  

Comment by ram shiromani pathak on May 10, 2014 at 7:18pm

हार्दिक आभार आदरणीया महिमा  जी,,,,,,,,,,सादर  

Comment by ram shiromani pathak on May 10, 2014 at 7:18pm

हार्दिक आभार आदरणीय भाई अजय  जी,,,,,,,,,,सादर  

Comment by ram shiromani pathak on May 10, 2014 at 7:17pm

हार्दिक आभार आदरणीय कृष्णा सिंह   जी,,,,,,,,,,सादर  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल  221    1221   1221    12 ये ज़िन्दगी  अहबाब…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर और भावप्रधान गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"सीख गये - गजल ***** जब से हम भी पाप कमाना सीख गये गंगा  जी  में  खूब …"
13 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"पुनः आऊंगा माँ  ------------------ चलती रहेंगी साँसें तेरे गीत गुनगुनाऊंगा माँ , बूँद-बूँद…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल २२   २२   २२   २२   २२   …"
20 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service