For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नन्ही गुड़िया ( कुण्डलिया छंद )

नन्ही गुड़िया चंचला ,खेले दौड़े खूब । 

नन्हे नन्हे पाँव हैं ,मनभावन है रूप ॥ 

मनभावन है रूप , तोतली बातें करती । 

बात बात मुस्कात ,सभी के मन को हरती॥ 

करे सभी  से प्यार ,हमारी प्यारी मुन्नी । 

सभी लड़ाते लाड़, मोहिनी गुड़िया नन्ही ।। 

अप्रकाशित एवं मौलिक 

Views: 803

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 19, 2014 at 6:34pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी 

नन्ही मुन्नी गुड़िया का हँसना खिलखिलाना और सबका मन मोह लेना बहुत सुन्दर लगा 

पर शिल्प में काफी कमियाँ रह गयी हैं 

1.खूब और रूप की /  मुन्नी और नन्ही की तुकांतता कैसे ?

2. बात बात मुस्कात ......................इसमें आपने मुस्कात शब्द जिस तरह से ले लिया वो सारा लालित्य ख़त्म कर रहा है rअचना का ....इस के स्थान पर "मधुर मधुर मुस्कान" सभी के मन के हरती लिया जाता तो क्या ही सुन्दर होता !

आपके इस प्रयास पर मेरी शुभकामनाएं 

सस्नेह 

Comment by Anurag Singh "rishi" on April 13, 2014 at 1:07pm

बधाई

Comment by kalpna mishra bajpai on April 11, 2014 at 10:07pm

आदरणीया अन्नपूर्णा दी सुंदर भाव रचना के लिए बहुत बधाई । सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 11, 2014 at 6:33pm

आ. अन्नपूर्णा जी , सुन्दर कुंडलिया रचना की है आपने !! बस तुकांतता को ज़रा देख लीजियेगा !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 11, 2014 at 4:05pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी बहुत बहुत बधाई बहुत प्यारी कुण्डलिया है

Comment by Sachin Dev on April 11, 2014 at 12:56pm

आदरणीय अन्नपूर्णा जी, नन्ही और प्यारी सी रचना पर हार्दिक बधाई आपको ! 

Comment by annapurna bajpai on April 11, 2014 at 12:17pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी , आपका अत्यंत आभार , आपके परामर्श अनुसार मै अभी परिवर्तन कर देती हूँ । ये सही है धूप से स्पष्ट नहीं हो रहा है , किन्तु यहाँ शब्द ' खूब'  था टाइपिंग मिस्टेक के कारण गड़बड़ हुआ है मै ठीक करती हूँ । आभार आपका 

Comment by Shyam Narain Verma on April 11, 2014 at 11:27am
आपकी इस सुंदर प्रस्तुति पर सादर बधाई..................
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 11, 2014 at 10:22am

सुन्दर कुंडलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेयी जी | आ. राजेश जी की सलाह उचित है | 

नहीं फ़िक्र, हो धूप" भी किया जा सकता है | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 11, 2014 at 8:41am

आ० अन्नापूर्ण जी बहुत सुन्दर प्रयास है कुण्डलिया पर एक विनम्र परामर्श ---दोहे के सम चरण को ऐसा लिखें तो कैसा रहे --उजली जैसे धूप या सुन्दर जैसे धूप,चमके  जैसे धूप ...  या कुछ और ---खेले दौड़े धूप से वाक्य स्पष्ट नहीं हो रहा

और रोले में करे जतन से प्यार को करे सभी से प्यार लिखें तो सही होगा

बाकि शिल्प में कोई कमी नहीं है बहुत शानदार भाव बहुत मासूम ..बधाई आपको  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
yesterday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
yesterday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service