For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बना खूब सरताज (दोहे) -ओबीओ की चौथी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर

1 अप्रैल 2014 को ओबीओ की चौथी वर्षगाँठ है। चार वर्षो में इस मंच ने मुझ जैसे सैकड़ों लेखको को तैयार किया है | इस अवसर पर दोहों के रूप में सभी सदस्यों में सहर्ष पुष्प समर्पित है ।-

 

 

मना रहे सब साथ में, उत्सव देखो आज

चार वर्ष कर पूर्ण ये, बना खूब सरताज |

 

बागी की ही सोच से, बिछ पाया यह साज

योगराज के यत्न से, सुन्दर होता ताज |

 

काव्य विधा को सीखते, विद्वजनों के साथ

सच्चे मन से साधते, नव अंकुर का हाथ |

 

सौरभ सी खुशबू मिले, रंगत भरी सुगंध

सीख-सीख सब रच रहे, सुंदर ललित निबंध |

 

सबके मन खिलते यहाँ, प्रेम प्रीति के रंग

काव्य विधा को सीखने, करते सब सत्संग |

 

काव्य गजल या गीत को, पढ़ते है सब साथ

छंद रचे मन भाव से, मिले साथ का हाथ |

 

प्राची में नित भौर ही, रंगत भरी सुगंध

रचते मन के भाव से, सुन्दर ललित निबंध |

 

संस्कृति का आदर करेयह इसका आधार

नव अंकुर को फूटने, करते सद्व्यवहार |  

 

ओबीओ परिवार में, है खुशियों का राज

ई-पत्रक में मंच पर, शीघ्र बना सरताज |  

 

दूर देश से जुड़ रहेनित बढ़ता आकार,

छंद मुक्त की काव्य में, बहती रहे बयार । 

 

 (मौलिक व् अप्रकाशित)

 

- लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर 

 

 

Views: 808

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 24, 2016 at 10:33am

जिस पटल पर मैंने काव्य रचना करना सीखी है, उस मंच के प्रति और उस मंच के उन पुरोधा/साहित्य मर्मग्य के प्रति ह्रदय में अगाध श्रधा भाव है आदरणीया कांता रोय जी | मुझ जैसा अनाडी को तो यहाँ 65 वर्ष के उम्र बाद भी खिलाड़ी बनाने का यह कह कर प्रयास किया की सीखने की कोई उम्र नहीं होती |आप पुरानी रचनाओं तक को खंगाल कर पढ़ रही है ये आपमें सीखने की ललक को दर्शाती है | आपको रचना पढ़कर सराहने के लिए हादिक बधाई एवं शुभ कामनाएं |

Comment by kanta roy on February 23, 2016 at 12:18pm
वाह ! बहुत ही खूबसूरती से आपने चित्रांकन किया है इस बगिया के सुगंधित वातावरण का । पढ़कर मन मुग्ध हो उठा । वाकई में बेहद मोहक बयार बहती है यहाँ साहित्य के सभी विधाओं का । अनाड़ी को भी खिलाड़ी बनाने की माद्दा रखती है यहाँ की कक्षाएँ व आयोजन । बड़ा सम्मोहन हैै यहाँ । बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला जी ।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 16, 2014 at 11:39am

सादर आभार आदरणीय श्री सौरभ जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 15, 2014 at 10:54pm

आदरणीय आपकी शुभकामनाएँ हमने भी दिल से स्वीकारीं.. . 

सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 3, 2014 at 12:14pm

ओबीओ वर्षगाँठ पर बधाई आपको श्री आशीष नैथानी सलिल जी 

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on April 2, 2014 at 11:26pm

ओ.बी.ओ. की वर्षगाँठ पर सुन्दर दोहावली आदरणीय लक्ष्मण जी !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 2, 2014 at 11:38am

ओबीओ की चतुर्थ वर्षगाँठ के बधाई के साथ ही दोहे पसंद करने के लिए हार्दिक आभार श्री केवल प्रसाद जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 2, 2014 at 11:36am

ओबीओ की प्रसंसा नहीं, ओबीओ से जो मिला उसके और उसमे विद्वजनों से मिले सहयोग के प्रति आबार स्वरूप ये दोहे 

रचे है भाई श्री अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी | दोहे सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 2, 2014 at 11:33am

ओबीओ वर्षगाँठ पर हार्दिक बधाई भाई लक्ष्मण धामी जी | दोहे पसंद करने के लिए हार्दिक आभार 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 2, 2014 at 11:31am

ओबीओ की वर्षगाँठ पर रचित दोहे सराहने के लिए हार्दिक आभार के साथ ही इन वर्षों में आपकी भागीदारी के लिए बधाई 

आदरणीया कल्पना रामानी जी और अन्नपूर्णा बाजपाई जी | सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service