For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ज्यों जवां ये चांदनी होने लगी

त्यों सुबह की सुगबुगी होने लगी

 

जब समंदर सी नदी होने लगी

साहिलों सी ज़िन्दगी होने लगी

 

आदमी में हो न हो रूहानियत

आदमीयत लाज़मी होने लगी

 

तितलियों को मिल गयी जब से भनक

बाग़ में कुछ सनसनी होने लगी

 

यार ने आदी बनाया इस क़दर

हर नए ग़म से ख़ुशी होने लगी

 

आँधियों से रूह कांपी रेत की

पर्वतों में दिल्लगी होने लगी

 

फिर मुसाफ़िर रासता मंजिल वही

और कहानी फिर वही होने लगी

 

ख़्वाब नें इतना सताया है हमें

ज़िन्दगी खुद ख़्वाब सी होने लगी

 

जो स्वयं निस्तेज है वो क्या कहें

क्यों उजालों में कमी होने लगी

 

सैकड़ो पर्दों में है ज़म्हुरियत

अब इसी को बेबसी होने लगी

भुवन निस्तेज

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by भुवन निस्तेज on September 4, 2014 at 11:03pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय साहब काफ्ये पर पुनर्विचार हो चूका है, सादर....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 26, 2014 at 8:41pm

आदरणीय भुवन निस्तेजजी, आपकी ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई. अच्छी ग़ज़ल हुई है.

हाँ, एक बात, क़ाफ़िया गलत निर्धारित हुआ है.

सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 17, 2014 at 11:43pm

बहुत खुबसूरत गजल कही आपने आदरणीय भुवन जी

जो स्वयं निस्तेज है वो क्या कहें

क्यों उजालों में कमी होने लगी.............बहुत खूब , हार्दिक  बधाई

 

Comment by मोहन बेगोवाल on March 16, 2014 at 9:37pm
भुवन जी , अप जी की गज़ल बहुत उम्दा हे मुबारकबाद
Comment by भुवन निस्तेज on March 15, 2014 at 4:26pm

गिरिराज भण्डारी जी, अनुराग अनुभव जी व गुमनाम पिथोरागढ़ी जी बहुत बहुत अभार आप लोगों का, तकनीकी मंच पर नया हूँ, कृपया मार्गदर्शन करें...

Comment by gumnaam pithoragarhi on March 15, 2014 at 10:43am

khoob bhaai  ji gazal achchhi lagi badhai...............................................

Comment by Anurag Anubhav on March 15, 2014 at 8:27am
आदरणीय भुवन जी.... बहुत खूबसूरत ग़ज़ल.... बधाई स्वीकार करें....

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 14, 2014 at 11:36pm

आदरणीय भुवन भाई , बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है , आपको बहुत बहुत बधाइयाँ ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
12 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service