For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

थोड़ा हँस लो थोड़ा गा लो [गीत]

आओ कुछ तो समय निकालो
थोड़ा हँस लो थोड़ा गा लो |

जीवन की आपाधापी में
अपने पीछे छूट न जाएँ
नन्हे सपने टूट न जाएँ
जरा नया उत्साह जगा लो

थोड़ा हँस लो.......

अपने हम से रूठ गए जो
जीवन पथ पर छूट गए जो
उनकी यादों से अब निकलो
रूठ गए जो उन्हें मना लो

थोड़ा हँस लो........

देख समय ने करवट खाई
फिर क्यों है मायूसी छाई
दे दो गम को आज विदाई
बुरे समय को हँस कर टालो

थोड़ा हँस लो........

दिल सच्चा हो ना हो झूठा 

कोई ना हो हमसे रूठा
रिश्ता उपजे एक अनूठा
दिल से अपनों को अपना लो

थोड़ा हँस लो.....

बात करेंगे बात बनेगी
सारी दुनिया तुम्हें सुनेगी
नैया इक दिन पार लगेगी
खुशियाँ बांटो खुशियाँ पा लो

थोड़ा हँस लो.....

अब समय ने ली अंगड़ाई
क्यों है अब भी चुप्पी छाई
सबने किस्मत स्वयं बनाई
अपनी किस्मत स्वयं बनालो

थोड़ा हँस लो........

जब कारवाँ छूट जाएगा
स्वयं को अकेला पाएगा
प्रभु नाम ही संग जाएगा
अपनी यात्रा सफल बनालो

थोड़ा हँस लो........

...................................

.....मौलिक व् अप्रकाशित.....

Views: 826

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sarita Bhatia on February 18, 2014 at 3:03pm

आदरणीया प्राची जी आपके मार्गदर्शन से रचनाओं में निखर लेन की हमेशा ही कोशिश रही है स्नेह बनाये रखें 

Comment by Sarita Bhatia on February 18, 2014 at 3:01pm

आदरणीय अनिल कुमार जी शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on February 18, 2014 at 3:00pm

आदरणीय आशुतोष जी तह दिल से शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on February 18, 2014 at 2:59pm

आदरणीय संतलाल जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on February 18, 2014 at 2:35pm

शुक्रिया अन्नपूर्णा  जी 

Comment by Sarita Bhatia on February 18, 2014 at 2:34pm

शुक्रिया राजेश जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on February 18, 2014 at 2:33pm

शुक्रिया मीना जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 18, 2014 at 1:35pm

गीत पर बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है आ० सरिता जी 

अंतिम बंद गेयता की दृष्टि से और प्रयास मांगता है. एक बात और , आप अब अपनी रचनाओं में कुछ बिम्बों का प्रयोग करना भी शुरू करें इससे गीत में ताजगी और नव्यता आती है..

जैसे आपने मन के भाव जस के तस प्रस्तुत किये , अब उन भावों को थोड़ा रचनात्मकता के साथ प्रस्तुत करने का प्रयत्न कीजिये... औरों की रचाओं पर ऐसी ही भावों को प्रस्तुत किये जाने के तरीकों पर गौर कीजिये अपने आप ही सब स्पष्ट होता चलेगा.

16 -16 की मात्रिकता पर इस सुन्दर प्रयास के लिए बहुत बहुत बधाई 

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 16, 2014 at 9:38pm

जीवन की आपाधापी में
अपने पीछे छूट न जाएँ
नन्हे सपने टूट न जाएँ
जरा नया उत्साह जगा लो........................आदरणीया .....बहुत ही सुन्दर पक्तियां ...............

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 15, 2014 at 10:06am

अपने हम से रूठ गए जो 
जीवन पथ पर छूट गए जो 
उनकी यादों से अब निकलो 
रूठ गए जो उन्हें मना लो

थोड़ा हँस लो........आदरणीया सरिता जी ..जीवन जीने का अंदाज सिखाती इस शानदार रचना के लिए आपको कोतिसः बधाई सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. . समुन्दर ने नदी को ख़त लिखा है मुझे इन…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service