For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

तुमने मेरे मस्तिष्क को

बींदने की

बेपनाह कोशिश की है

उसे नियन्त्रित करने की

मशक्कत की है कि, जैसा तुम चाहो

मैं वैसा सोचूँ..

तुमने मुझे एक से बढ़ कर एक

रंगीन जाल दिखाया

बनाये अनोखे तिलिस्म और चाहा

कि जैसा तुम दिखाना चाहते हो

मैं बस वो ही देखूँ..

तुमने मेरी उंगलियों को

छेद छेद कर, पिरोने चाहे

रेश्मीं धागे, और चाहा

कि जो तुम चाहो

मैं बस वो ही लिखूँ..

मुझे मालूम है

तुम्हारा पूरा का पूरा निज़ाम

बस इस बल पर खडा है

कि जो तुम चाहते हो

मैं वही बोलूँ..

तुम मेरी वैधानिक हत्या के

तमाम अस्त्रों से लैस हो

मैं निहत्था हूँ

फ़िर भी बलवान

क्योंकि, तुम्हारा एक-एक औज़ार

तुम्हारी जेलें

यातनायें-धमकियां

और फ़ांसी के फ़ंदे

मुझे शिखंडी न बना सके.

मेरे एक छोटे से प्रश्न पर

न्याय और समता के प्रश्न पर

तुमने दिखा ही दिया

अपना वीभत्स रुप.

मेरे खून की एक एक बूंद

तेरा पर्दाफ़ाश करेगी.

मैं मजबूर हूँ

मैं वह नहीं सोच सकता जो तुम कहो

मैं वह नहीं देख सकता जो तुम दिखाओ

मैं वह नहीं लिख सकता जो तुम लिखवाओ

मैं वो नहीं कह सकता जिसे तुम चाहो

.==================================

रचनाकाल: दिसंबर २७,२०१०

Views: 470

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on February 11, 2011 at 6:47pm
Tilak Raj ji....Sadar Pranam....!!!
Comment by Tilak Raj Kapoor on February 11, 2011 at 5:25pm

आज तन्‍हा लड़ रहा हूँ, कल हज़ारों हाथ होंगे

युद्ध तुम कैसे लड़ोगे, जब वो मेरे साथ होंगे।

Comment by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on February 8, 2011 at 8:19pm

Rakesh ji...aapka dhanyawad.

sadar

Comment by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on February 8, 2011 at 7:02pm

Dr Nutan Sahiba, aapka bahut bahut aabhar...

Sadar

Comment by Dr Nutan on February 8, 2011 at 6:02pm

बहुत खूब  शम्स जी..

विद्रोह और ताकत से लबरेज कविता .. उम्दा ..

Comment by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on February 5, 2011 at 6:04pm

Rana Pratap ji aur Abhinav ji....

aap dono ka main bahut bahut aabhar vyakt karta hun...Saath banaye rakhiyyega...

Sadar


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on February 5, 2011 at 10:18am

क्योंकि, तुम्हारा एक-एक औज़ार

तुम्हारी जेलें

यातनायें-धमकियां

और फ़ांसी के फ़ंदे

मुझे शिखंडी न बना सके.

 

शमशाद सर, इन शशक्त पंक्तियों के लिए साधुवाद|

Comment by Abhinav Arun on February 5, 2011 at 8:59am
वक्त की आवाज़ है ये कविता | चेतना के स्वरों से ओतप्रोत और निर्भीक | रचनाकार को सलाम करता हूँ |
Comment by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on February 4, 2011 at 7:31pm
Vandana ji, aapka shukriya..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
13 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service