For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“ डंकी” क्रिकेटर नाक कटाय ( आल्हा छंद - प्रथम प्रयास)अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव

मनुज रूप इंग्लैंड गये थे, वहाँ पहुँच “ डंकी ” कहलाय।

घुटने टेके, सिर भी झुकाय, गुलाम जैसा खेल दिखाय।

जब उपाधि डंकी की पाये, सब बेशर्मों सा मुस्काय।

वह रे क्रिकेटर हिन्दुस्तानी, अपनी इज़्ज़त खुद ही गवांय।

आस्ट्रेलिया में हाल खराब, सभी मैंच में हमें हराय।

अरबों रुपय कमाने वालों, दो कौड़ी का खेल दिखाय।

अफ्रीका में मैच भी हारे,  उस पर हाथ पैर तुड़वाय।                   

खेल दिखाये बच्चों जैसा , रोते गाते वापस आय। 

देखिये अब न्यूज़ीलैंड में, क्रिकेटर कैसे गुल खिलाय।

दहाड़ते थे शेरों जैसे , कूकर जैसा पूँछ दबाय। ......................... कूकर - कुत्ते   

 

कितनी पार्टी और उत्सव में, कन्याओं संग कमर हिलाय।

अब उसका  परिणाम देख लो , नचकरहों सा खेल दिखाय।.. ....... नचकरहों सा = (सड़कछाप) नाचने वालों जैसा

 

गुटबाज़ी औ राजनीति से, खेल का सत्यानाश कराय।

धराशायी हर बार हुए हो, जितनी बार अकड़ दिखलाय।

विश्व विजेता कहलाते हो, एक मैच भी जीत न पाय।

नाक कटाकर जान बचाये, लौट के बुद्धू घर को आय।

**********************************************************

मौलिक एवं अप्रकाशित

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव

विवेकानंदनगर मार्ग – 3

धमतरी (छत्तीसगढ़) 

 

 

 

Views: 749

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 7, 2014 at 10:13pm

ईश्वर केलिए किसी छंद या विधा विशॆष के आधार पर लिखने के पहले उस विधान की तनिक जानकारी ले लेना जरूरी समझियेगा, आदरणीय.

सादर

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 7, 2014 at 9:50pm

आदरणीया प्राचीजी,

हार्दिक धन्यवाद , आपकी टिप्पणी से उत्साहवर्धन हुआ । निकट भविष्य में फिर कोई ज्वलंत विषय लेकर आल्हा छंद लिखने का उत्साह प्रबल हुआ है॥


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 7, 2014 at 12:16pm

सामयिक विषय ले कर आल्हा छंद पर प्रयास के लिए शुभकामनाएँ आ० अखिलेश जी 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 4, 2014 at 6:22pm

आदरणीय विजय  भाईजी, 

आपके विचारों  से सहमत हूँ । क्रिकेट और क्रिकेटर दोनों किसी न किसी रूप में देश को बर्बाद करने पर तुले हैं इसमें राजनीति भी पूरी तरह घुस गई है। फिल्म टीवी फेस बुक के बाद  क्रिकेट ही है जो युवा पीढ़ी को भ्रमित करता है । उस डंकी टीम में सचिन भी था । इंग्लैण्ड द्वारा माफी न माँगने पर सचिन और पूरी टीम को उसी दिन लौट आना था  पर " वह रे क्रिकेटर  हिन्दुस्तानी " । पाँच सात साल के बच्चे में भी देश के प्रति सम्मान की भावना जगाने वाली  भारत सरकार भी चुप बैठ गई । और ध्यांनचंद की उपेक्षा कर आज ' भारत रत्न "  की उपाधि भी दे दी गई ।  रचना भी इसी उद्देश्य से लिखी गई है कि पाठकों को कुछ जानकारी मिल सके॥

 . सादर   । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 4, 2014 at 3:46pm

आदरणीय, आप इसी मंच के भारतीय छंद विधान समूह में उपलब्ध आलेख देखिये न !  छंद-विधान के लेखकों को भी आत्मतोष होगा कि आलेख प्रस्तुत करना सार्थक हुआ. वहाँ आप जैसे रचाकर्मियों के व्यावहारिक सुझाव व उचित टिप्पणियाँ भी मिलेंगीं. 

सादर

Comment by विजय मिश्र on February 4, 2014 at 1:35pm
ये संज्ञाशून्य हो गए हैं ,इन्हें न मान-अपमान का भय है और ना ही राष्ट्र भावना की चिन्ता |ये आधुनिक भाषा में प्रोफेसनल्स हैं ,इन्हें केवल और केवल मुद्रा मोचन समझ में आता है अखिलेशजी |
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 4, 2014 at 9:56am

आदरणीय  सौरभ भाईजी, 

उत्साह बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद । तीसरे पाँचवे में कहीं गेयता बाधक है लेकिन उचित शब्द बिठा नहीं पाया । आपसे अनुरोध है कि न्यूजीलैण्ड आस्ट्रेलिया वाली पंक्तियों में गेयता की दृष्टि से उचित संशोधन करते हुए आल्हा छंद के आवश्यक नियम बताने की कृपा करें तो हम सबका ज्ञानवर्धन होगा ॥

......... सादर्

 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 4, 2014 at 9:38am

प्रिय छोटे भाई,

रचना पसंद आई, हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 4, 2014 at 9:34am

आदरणीय  रामजी, 

उत्साह बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद । तीसरे पाँचवे में कहीं गेयता बाधक है लेकिन उचित शब्द बिठा नहीं पाया ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 4, 2014 at 4:10am

बहुत मेहनत की आपने, आदरणीय. हार्दिक शुभकामनाएँ..

वैसे आल्हा छंद के विधान को पढ़ लेना उचित होता. कई पदों में छंद विधान का उल्लंघन हुआ है.

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service